राजस्थान की धरती वीरता, बलिदान और शौर्यगाथाओं से भरी पड़ी है। यहां के किले न केवल स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं के भी साक्षी रहे हैं। इस लेख में हम राजस्थान के प्रमुख दुर्गों का वर्णन उनके ऐतिहासिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक महत्व के साथ करेंगे।
🏰 1. चित्तौड़गढ़ दुर्ग (चित्तौड़गढ़ जिला)
प्रकार: गिरी दुर्ग
निर्माता: चित्रांग मौर्य
प्राचीन नाम: चित्रकूट
विशेषता: राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट
आकार: व्हेल मछली के आकार का
स्थिति: गंभीरी एवं बेड़च नदियों के संगम पर
📌 प्रमुख स्थल:
रानी पद्मिनी महल
गोरा-बादल महल
कालिका माता मंदिर
जयमल-माता की छतरियाँ
🗣️ प्रसिद्ध कहावत:
“गढ़ तो गढ़ चित्तौड़गढ़, बाकी सब गढ़ैया।”
इस दुर्ग को दुर्गों का सिरमौर भी कहा जाता है
2. रणथंभौर दुर्ग (Ranthambore Fort)
यह गिरी और वन दुर्ग है।
सवाई माधोपुर जिले में अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है।
इसका निर्माण रणथम्भन देव ने करवाया था।
वास्तविक नाम रन्तःपुर है, जिसका अर्थ है ‘रण की घाटी में स्थित नगर’।
अबुल फजल ने कहा: “अन्य सब दुर्ग नंगे हैं जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है।”
दर्शनीय स्थल: गणेश जी मंदिर, सुपारी महल, पीर सदरूद्दीन की दरगाह, जोगी महल, बादल महल, हम्मीर महल, जौहर महल।
पृथ्वीराज तृतीय की पराजय के बाद उसके पुत्र गोविंदराज ने यहाँ शासन स्थापित किया।
राजस्थान का पहला साका 1301 ईस्वी में यहीं हुआ।
हमीर देव चौहान दो मंत्रियों के विश्वासघात के कारण अलाउद्दीन खिलजी से पराजित हुआ।
3. कुंभलगढ़ दुर्ग (Kumbhalgarh Fort)
यह राजसमंद जिले में स्थित एक गिरी दुर्ग है।
महाराणा कुंभा ने इसका निर्माण मौर्य शासक सम्प्रति द्वारा निर्मित दुर्ग के अवशेषों पर करवाया।
अबुल फजल ने कहा: “यह इतनी ऊँचाई पर है कि नीचे से देखने पर पगड़ी गिर जाती है।”
इसकी दीवार की लंबाई 36 किमी है, जिसे “भारत की महान दीवार” कहा जाता है।
महाराणा प्रताप का जन्म इसी दुर्ग के बादल महल की जूनी कचहरी में हुआ।
वास्तुकार: मंडन।
🏜️ 4. जैसलमेर दुर्ग (जैसलमेर)
प्रकार: धान्वन दुर्ग
अन्य नाम: स्वर्णगिरि, सोनारगढ़
विशेषता: राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट
साके: 2.5 साके प्रसिद्ध हैं
🗣️ अबुल फजल ने कहा:
“घोड़ा कीजे काठ का, पिंड कीजे पाषाण,
बख्तर कीजे लोहे का, तब देखो जैसाण।”
📌 दर्शनीय स्थल:
पटवों की हवेली – पांच हवेलियों का समूह
प्रसिद्ध नक्काशी और पत्थर की बारीक कलाकारी
प्रथम हवेली – गुमानचंद पटवा द्वारा निर्मित
5️⃣ जयगढ़ दुर्ग (Jaigarh Fort) – जयपुर
जयपुर में स्थित यह दुर्ग रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
इसकी नींव मानसिंह प्रथम ने रखी थी।
निर्माण कार्य मिर्जा राजा जयसिंह ने शुरू किया और सवाई जयसिंह ने पूर्ण किया।
यहाँ स्थित है विश्व की सबसे बड़ी तोप – ‘जयबाण’।
6️⃣ नाहरगढ़ दुर्ग (Nahargarh Fort) – जयपुर
इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वारा करवाया गया।
इसे ‘सुदर्शनगढ़‘ भी कहा जाता है।
सवाई माधो सिंह ने यहाँ अपनी नौ पासवानों के लिए एक जैसे नौ महलों का निर्माण करवाया।
🏯 7. मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर)
निर्माता: राव जोधा ने चिड़ियाटूंंक की पहाड़ी पर इसका निर्माण करवाया।
स्थान: चिड़ियाटूंक पहाड़ी, जोधपुर
नींव: करणी माता द्वारा रखी गई
अन्य नाम: इसे ‘गढ़चीतामणी‘ और ‘मयूरध्वजगढ़‘ भी कहते हैं।
📌 प्रमुख स्थल:
चामुंडा माता मंदिर
नागणेची माता मंदिर
जसवंत थड़ा – इसे मारवाड़ का ताजमहल कहा जाता है
8. अचलगढ़ दुर्ग (Achalgarh Fort)
स्थिति:
यह दुर्ग राजस्थान के सिरोही जिले में, माउंट आबू के पास स्थित है।
निर्माण:
अचलगढ़ दुर्ग का निर्माण प्रारंभिक रूप से परमार शासकों ने करवाया था।
बाद में महाराणा कुम्भा ने 15वीं शताब्दी में इस दुर्ग का पुनर्निर्माण और सुदृढ़ीकरण करवाया।
विशेषताएं:
दुर्ग तक पहुंचने के लिए एक ऊँचा, घुमावदार मार्ग है जो घने जंगलों से होकर गुजरता है।
दुर्ग के अंदर अचलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
इस मंदिर में एक विशाल नंदी की मूर्ति है, जो पांच धातुओं (पंचधातु) से बनी हुई मानी जाती है।
किले की दीवारें अब खंडहर अवस्था में हैं, लेकिन उनका ऐतिहासिक वैभव अब भी देखा जा सकता है।
यहाँ से माउंट आबू के आसपास के पर्वतीय दृश्य बहुत ही मनोहारी दिखाई देते हैं।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व:
अचलेश्वर मंदिर और दुर्ग राजपूतों के धार्मिक आस्था के केंद्र रहे हैं।
यह क्षेत्र पर्यटन के दृष्टिकोण से भी लोकप्रिय है, विशेष रूप से माउंट आबू आने वाले पर्यटकों के लिए।
9. बसंतगढ़ दुर्ग (Basantgarh Fort)
स्थिति:
यह दुर्ग भी सिरोही जिले में स्थित है, और यह दुर्ग एक ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है।
निर्माण:
बसंतगढ़ दुर्ग का निर्माण भी प्रारंभिक राजपूत शासकों द्वारा करवाया गया माना जाता है, लेकिन इसका सटीक स्थापत्य काल विवादास्पद है।
यह दुर्ग राजपुरोहितों और स्थानीय क्षत्रिय सरदारों के नियंत्रण में भी रहा है।
विशेषताएं:
दुर्ग अब खंडहर की स्थिति में है, लेकिन इसकी स्थिति सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती थी।
यह दुर्ग घने जंगलों और ऊँची पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिससे यह दुश्मनों के लिए लगभग अभेद्य बन जाता था।
यहाँ आसपास कई प्राकृतिक जल स्रोत, प्राचीन मंदिर और सुरंगों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं।
अचलगढ़ दुर्ग धार्मिक और स्थापत्य दोनों दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है, जबकि बसंतगढ़ दुर्ग अपनी सामरिक स्थिति और प्राकृतिक सुरक्षा के कारण चर्चित रहा है।
ये दोनों दुर्ग राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं, जो आज भी इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
✅ निष्कर्ष
राजस्थान के ये दुर्ग न केवल स्थापत्य और सैन्य दृष्टि से अद्वितीय हैं, बल्कि ये राजपूती संस्कृति, वीरता और बलिदान की अमर गाथाओं के प्रतीक भी हैं। ये दुर्ग आज भी भारतीय इतिहास और पर्यटन की धरोहर हैं।
📚 राजस्थान के प्रमुख दुर्गों पर 10 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
उत्तर: राजस्थान का सबसे बड़ा दुर्ग चित्तौड़गढ़ दुर्ग है, जो गिरी दुर्ग के रूप में जाना जाता है और इसका आकार व्हेल मछली के समान है।
उत्तर: रणथंभौर दुर्ग को वन दुर्ग और गिरी दुर्ग दोनों माना जाता है। यहाँ 1301 ई. में राजस्थान का प्रथम साका हुआ था और यह दुर्ग हमीर देव चौहान के शौर्य और बलिदान से जुड़ा है।
उत्तर: कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवार की लंबाई 36 किलोमीटर है, जो चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे बड़ी किलेबंदी मानी जाती है। इसलिए इसे 'भारत की महान दीवार' कहा जाता है।
उत्तर: जैसलमेर दुर्ग पीले बलुआ पत्थर से बना है, जो सूर्य की रोशनी में सुनहरा प्रतीत होता है। इसलिए इसे सोनारगढ़ या स्वर्ण दुर्ग कहा जाता है।
उत्तर: मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण राव जोधा ने चिड़ियाटूंक पहाड़ी पर करवाया था और इसकी नींव करणी माता ने रखी थी।
उत्तर: जयगढ़ दुर्ग विश्व की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' के लिए प्रसिद्ध है, जिसे सवाई जय सिंह ने बनवाया था।
उत्तर: नाहरगढ़ दुर्ग का प्राचीन नाम सुदर्शनगढ़ था, और इसे सवाई जय सिंह ने बनवाया था। यहाँ 9 अलग-अलग महल सवाई माधो सिंह द्वारा अपनी 9 रानियों के लिए बनवाए गए थे।
उत्तर: अचलगढ़ दुर्ग में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसमें पंचधातु से बनी विशाल नंदी की मूर्ति भी है।
उत्तर: बसंतगढ़ दुर्ग सिरोही जिले में स्थित है। यह एक सामरिक दृष्टि से मजबूत पर्वतीय दुर्ग था और अब खंडहर रूप में है।
उत्तर: महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग के कटारगढ़ के बादल महल की जूनी कचहरी में हुआ था।