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राजस्थान के प्रमुख वन्य जीव अभ्यारण्य

इस लेख में राजस्थान के प्रमुख वन्य जीव अभ्यारण्य के बारे में विस्तार से जानेगे तो सबसे पहले हम जानते है कि वन्य जीव अभ्यारण्य किसे कहते है और क्या होते है और क्यों जरुरी है |

वन्य जीव अभ्यारण्य: परिभाषा और महत्व

वन्य जीव अभ्यारण्य वे संरक्षित क्षेत्र होते हैं जहां वन्य जीवों को प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रूप से रहने और विकसित होने का अवसर मिलता है। इनका मुख्य उद्देश्य जैव विविधता की रक्षा करना और वन्य जीवों को शिकार व अन्य मानवीय हस्तक्षेप से बचाना है।

वन्य जीव अभ्यारण्य क्यों आवश्यक हैं?

  1. जैव विविधता संरक्षण: विभिन्न प्रजातियों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण।
  2. पर्यावरण संतुलन: पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखते हैं।
  3. पर्यटन और रोजगार: इको-टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं।
  4. शोध और शिक्षा: वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयुक्त स्थान।
  5. जलवायु परिवर्तन प्रभावों को कम करना: प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हैं।

राजस्थान के प्रमुख वन्य जीव अभ्यारण्य

1. राष्ट्रीय मरू उद्यान (जैसलमेर व बाड़मेर)

  • क्षेत्रफल: 3,162 वर्ग किमी (राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण्य)
  • मुख्य आकर्षण: फूड पोस्टल पार्क (जीवाश्मों के लिए प्रसिद्ध)
  • प्रमुख वन्यजीव: राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण और राज्य पशु चिंकारा

2. सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य (अलवर)

  • प्रमुख वृक्ष: कोंच की फली
  • विशेषता: राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना
  • क्षेत्रफल: मात्र 3 वर्ग किमी (राजस्थान का सबसे छोटा अभ्यारण्य)

3. कुंभलगढ़ अभ्यारण्य (उदयपुर, राजसमंद, पाली)

  • प्रसिद्धि: भेड़ों के प्रजनन के लिए प्रसिद्ध
  • ऐतिहासिक स्थल: रणकपुर जैन मंदिर

4. सज्जनगढ़ अभ्यारण्य (उदयपुर)

  • क्षेत्रफल: राजस्थान का दूसरा सबसे छोटा अभ्यारण्य
  • विशेषता: जैविक उद्यान (लोकापर्ण – 12 अप्रैल 2015)

5. माउंट आबू अभ्यारण्य (सिरोही)

  • प्रमुख प्राणी: जंगली मुर्गे
  • अनोखा पौधा: आबू एन्सिस डीकिल्प्टेरा (दुनिया में केवल आबू पर्वत पर)

6. सीता माता अभ्यारण्य (प्रतापगढ़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़)

  • प्रसिद्धि: चीतल की मातृभूमि, उड़ान गिलहरी का स्वर्ग
  • प्रमुख जल स्रोत: जाखम नदी (राजस्थान का सबसे बड़ा जाखम बांध – 81 मीटर)

7. दर्रा वन्य जीव अभ्यारण्य (कोटा, झालावाड़)

  • प्रमुख पक्षी: गगारोनी तोते के लिए प्रसिद्ध
  • प्रसिद्ध वनस्पति: धोकेड़ा वन
  • ऐतिहासिक स्थल: गागरोन का किला

8. टॉडगढ़ रावली अभ्यारण्य (अजमेर, पाली, राजसमंद)

  • ऐतिहासिक स्थल: टॉडगढ़ का किला (निर्माण – कर्नल जेम्स टॉड)
  • ऐतिहासिक घटना: विजय सिंह पथिक की कैदगाह

9. रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य (बूंदी)

  • विशेषता: राजस्थान का एकमात्र बाघ परियोजना रहित बाघ विचरण क्षेत्र

10. भैंसरोगढ़ अभ्यारण्य (चित्तौड़गढ़)

  • प्रसिद्धि: घड़ियाल संरक्षण

11. तालछापर अभ्यारण्य (चुरु)

  • प्रसिद्धि: कृष्णमृग (काले हिरण) और प्रवासी पक्षी

12. नाहरगढ़ अभ्यारण्य (जयपुर)

  • जैविक उद्यान का लोकापर्ण: 4 जून 2016

13. शेरगढ़ अभ्यारण्य (बारां)

  • प्रसिद्धि: सांपों की शरणस्थली
  • जल स्रोत: पखन नदी

14. कैलादेवी अभ्यारण्य (करौली)

  • प्रमुख वनस्पति: धोंक वन क्षेत्र

15. धौलपुर के अभ्यारण्य

  • रामसागर अभ्यारण्य
  • केसर बाग अभ्यारण्य
  • वन विहार अभ्यारण्य

16. जमवारामगढ़ अभ्यारण्य (जयपुर)

  • यह अभ्यारण्य जयपुर के निकट स्थित है और प्रमुख वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र है।
  • यहां विभिन्न प्रकार के पक्षी और स्तनधारी पाए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र पर्यटन और एडवेंचर लवर्स के लिए आकर्षण का केंद्र है।
  • इस अभ्यारण्य में प्राकृतिक जल स्रोत और वन्यजीवों के लिए उपयुक्त आवास हैं।
  • यह पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

17. जयसमंद अभ्यारण्य (उदयपुर)

  • यह राजस्थान के सबसे बड़े कृत्रिम मीठे पानी की झील जयसमंद झील के आसपास फैला हुआ है।
  • यह बघेरों के संरक्षण और वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहां मगरमच्छ, सांभर, चीतल, तेंदुआ और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र हरे-भरे जंगलों और जल निकायों का बेहतरीन संयोजन प्रस्तुत करता है।
  • यह वन्यजीव फोटोग्राफी और बर्डवॉचिंग के लिए एक आदर्श स्थल है।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी इस अभ्यारण्य के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई इको-टूरिज्म पहलें चलाई जा रही हैं।
  • यहां पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाती हैं।
  • झील के किनारे बसे वन्य जीव इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
  • प्रसिद्धि: बघेरों के लिए प्रसिद्ध

18. जवाहर सागर अभ्यारण्य (बूंदी, कोटा, चित्तौड़गढ़)

  • प्रसिद्धि: घड़ियाल संरक्षण

19. राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य

  • विस्तार: राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश
  • राजस्थान में प्रमुख स्थान: कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर

20. फुलवारी की नाल अभ्यारण्य (उदयपुर)

  • यह अभ्यारण्य घने वनों और वन्य जीवों की समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहां तेंदुए, सियार, चीतल और कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
  • स्थानीय आदिवासी समुदाय इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
  • राजस्थान के प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है।
  • यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।

21. सवाई माधोपुर अभ्यारण्य (सवाई माधोपुर)

  • रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के समीप स्थित यह अभ्यारण्य बाघों के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह वन्यजीव प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए आदर्श स्थान है।
  • यहां चीतल, सांभर, नीलगाय और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र वन संरक्षण और बाघ संरक्षण परियोजनाओं में सहायक है।
  • इस अभ्यारण्य का पारिस्थितिक महत्व अत्यधिक है।

22. बंध बरैठा अभ्यारण्य (भरतपुर)

  • यह पक्षी प्रेमियों के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है।
  • यहां प्रवासी पक्षियों का बड़ा समूह देखा जाता है।
  • यह भरतपुर के प्रसिद्ध केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान के समीप स्थित है।
  • अभ्यारण्य में झीलें और दलदली भूमि वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • जलस्रोतों की प्रचुरता इसे एक अद्वितीय अभ्यारण्य बनाती है।

23. बस्सी अभ्यारण्य (चित्तौड़गढ़)

  • यह अभ्यारण्य घड़ियालों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहां तेंदुए, चीतल, सांभर और अन्य वन्य जीव देखे जा सकते हैं।
  • यह चित्तौड़गढ़ किले के समीप स्थित है, जो ऐतिहासिक महत्व रखता है।
  • यहां का घना जंगल वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करता है।
  • यह राजस्थान के प्रमुख पारिस्थितिक पर्यटन स्थलों में से एक है।
  • प्रसिद्धि: घड़ियाल संरक्षण

24. सवाई मानसिंह अभ्यारण्य (सवाई माधोपुर)

  • यह रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के समीप स्थित एक महत्वपूर्ण अभ्यारण्य है।
  • यहां बाघ, तेंदुए, चीतल और अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह एक बेहतरीन स्थान है।
  • इस अभ्यारण्य में दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है।

राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण्य याद करने की ट्रिक

  1. संक्षिप्त नाम विधि: “मौसी सर काला दरबार जयपुर में बैठी” (माउंट आबू, सीता माता, सरिस्का, काला देवी, दर्रा, जयसमंद, नाहरगढ़)
  2. भौगोलिक क्रम विधि: राजस्थान के मानचित्र को ध्यान में रखते हुए अभ्यारण्यों को उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक क्रमबद्ध याद करें।
  3. मुख्य विशेषता विधि: प्रत्येक अभ्यारण्य की प्रमुख विशेषता को जोड़कर एक कहानी बनाएं, जैसे “गोडावण ने तालछापर में नृत्य किया, सरिस्का में बाघ घूमे, और दर्रा में तोते गाए”
  4. चित्र और मानचित्र विधि: राजस्थान का एक नक्शा बनाकर प्रत्येक अभ्यारण्य की स्थिति और उसकी विशेषता को चित्रों और रंगों से दर्शाएं।

निष्कर्ष

राजस्थान वन्य जीव अभ्यारण्यों के मामले में भारत के समृद्ध राज्यों में से एक है। ये न केवल वन्य जीवों के संरक्षण में सहायक हैं बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देते हैं। वन्य जीव संरक्षण के प्रति जागरूकता और सतत प्रयासों से हम इन प्राकृतिक धरोहरों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।

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