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Aravalli mountain range in Rajasthan

मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश: एक विस्तृत परिचय

अरावली पर्वतीय प्रदेश गोंडवाना लैण्ड का अवशेष है, जिसकी उत्पत्ति प्रीकैम्ब्रियन काल में हुई थी। यह पर्वतमाला विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वतमालाओं में से एक है, लेकिन वर्तमान में यह अवशिष्ट पर्वतमाला के रूप में विद्यमान है।

भौगोलिक विशेषताएँ:

  • वर्तमान में अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई 930 मीटर है।
  • यह मुख्य रूप से क्वार्टजाइट चट्टानों से निर्मित है, जो इसे कठोर एवं अपरदन-प्रतिरोधी बनाती हैं।
  • अरावली पर्वत राजस्थान के कुल 9% भूभाग पर फैला हुआ है, जिसमें राज्य की 10% जनसंख्या निवास करती है।

जनजातीय जनसंख्या:

  • भील जनजाति – सर्वाधिक संख्या में उदयपुर क्षेत्र में पाई जाती है।
  • गरासिया जनजाति – मुख्यतः सिरोही जिले में निवास करती है।
  • इसके अतिरिक्त, मीणा और डामोर जनजातियाँ भी अरावली क्षेत्र में निवास करती हैं।

लंबाई एवं विस्तार:

  • अरावली पर्वतमाला की कुल लंबाई 692 किमी है।
  • इसका विस्तार गुजरात के खेड़ब्रह्मा एवं पालनपुर से लेकर दिल्ली के रायसीना हिल्स तक है।
  • राजस्थान में इसकी लंबाई 550 किमी (80%) है, जो सिरोही से खेतड़ी-सिंघाना (झुंझुनू) तक फैली हुई है।

वैश्विक तुलना:

  • भूगर्भीय संरचना एवं बनावट की दृष्टि से अरावली पर्वतमाला की तुलना अमेरिका की एपलाचियन पर्वत श्रृंखला से की जा सकती है।
  • यह पर्वतमाला भी कर्णवत्त (अर्थात् अत्यधिक अपक्षयित एवं निम्न ऊँचाई वाली) स्वरूप में विद्यमान है।

भौगोलिक विस्तार

अरावली पर्वतीय प्रदेश मुख्य रूप से राजस्थान के 13 जिलों में विस्तारित है:
उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनू, अजमेर, सिरोही, अलवर, पाली, जयपुर
(इन जिलों से अलग होकर बने नए जिले भी अरावली क्षेत्र में सम्मिलित हैं।)

जलवायु एवं वर्षा

  • जलवायु – उपआद्र
  • औसत वार्षिक वर्षा50 से 90 सेंटीमीटर
  • राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थानमाउंट आबू (सिरोही), जहाँ वर्षा लगभग 150 सेंटीमीटर होती है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिलाझालावाड़
  • झालावाड़ को ‘राजस्थान का नागपुर’ कहा जाता है, क्योंकि यहाँ संतरे का सर्वाधिक उत्पादन होता है।

खनिज संपदा

अरावली प्रदेश खनिज संपदा से भरपूर क्षेत्र है। यहाँ निम्नलिखित प्रमुख खनिज पाए जाते हैं:
तांबा
शीशा (लेड) एवं जस्ता (जिंक)
अभ्रक (माइका)
चांदी
लौह अयस्क (आयरन)
मैगनीज
फेल्सपार
ग्रेनाइट

अरावली के प्रमुख दर्रे (घाटियाँ)

अरावली पर्वत श्रृंखला में कई महत्वपूर्ण दर्रे (घाटियाँ) स्थित हैं, जो ऐतिहासिक एवं भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं:

उदयपुर जिले के दर्रे:

  • फुलवारी की नाल
  • केवड़ा की नाल
  • देबारी दर्रा

पाली जिले के दर्रे:

  • देसूरी की नाल
  • सोमेश्वर की नाल

राजसमंद जिले के दर्रे:

  • कामलीघाट दर्रा
  • जिलवा की नाल

ऊँचाई के आधार पर अरावली का वर्गीकरण

अरावली पर्वतमाला को ऊँचाई के आधार पर तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. उत्तरी अरावली
  2. मध्य अरावली
  3. दक्षिणी अरावली

1. उत्तरी अरावली

📍 स्थान: जयपुर संभाग – जयपुर, सीकर, झुंझुनू, अलवर, दौसा
📏 औसत ऊँचाई: 450 मीटर
🏔️ उत्तरी अरावली की सर्वोच्च चोटी: रघुनाथगढ़, सीकर (1055 मीटर)
🏔️ दूसरी सर्वोच्च चोटी: खो, जयपुर (920 मीटर)

प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ:

  • बैराट की पहाड़ियाँ – जयपुर
  • खंडेला की पहाड़ियाँ – सीकर
  • तारावती की पहाड़ियाँ – सीकर
  • मालखेत की पहाड़ियाँ – सीकर
  • उदयनाथ की पहाड़ियाँ – अलवर

2. मध्य अरावली

📍 स्थान: मुख्यतः अजमेर और उसके आसपास का क्षेत्र
📏 औसत ऊँचाई: 550 मीटर
🏔️ सर्वोच्च चोटी: गोरमजी (मायरजी), टॉडगढ़-अजमेर (933 मीटर)
🏔️ दूसरी सर्वोच्च चोटी: तारागढ़, अजमेर (873 मीटर) (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार 870 मीटर)

3. दक्षिणी अरावली (मुख्य अरावली)

📍 स्थान: सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर
📏 विशेषता: इस क्षेत्र में अरावली की सबसे ऊँची चोटियाँ स्थित हैं, इसलिए इसे मुख्य अरावली कहा जाता है।

🏔️ राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी:
गुरु शिखर, माउंट आबू (1722 मीटर)
💡 कर्नल जेम्स टॉड ने इसे “संतों का शिखर” कहा था।

🏔️ राजस्थान की दूसरी सबसे ऊँची चोटी:
सेर चोटी, सिरोही (1597 मीटर)

📏 राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार:
उड़िया का पठार (1360 मीटर)सेर, दिलवाड़ा, अचलगढ़ और माउंट आबू में फैला हुआ

📌 सिरोही की तेज ढाल वाली पहाड़ियों को ‘भाकर’ कहा जाता है, जबकि

  • इसराना भाकर और रोजा भाकरजालौर जिले में स्थित हैं

📌 पश्चिम में स्थित पर्वत श्रृंखला:
जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ – प्रमुख चोटी डोरा पर्वत (869 मीटर)

दक्षिणी अरावली के दो प्रमुख भाग

(1) आबू पर्वतखंड

  • अरावली पर्वत शृंखला का सबसे ऊँचा भाग
  • औसत ऊँचाई: 1200 मीटर से अधिक
  • राजस्थान की सबसे ऊँची चोटीगुरु शिखर (1722 मीटर)
  • राजस्थान की दूसरी सबसे ऊँची चोटीसेर, सिरोही (1597 मीटर)
  • राजस्थान का सबसे ऊँचा पठारउड़िया का पठार (1360 मीटर)

(2) मेवाड़ का चट्टानी प्रदेश

📍 स्थान: उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, गोगुंदा, कुंभलगढ़
📌 मुख्य पठारी क्षेत्रभोराठ का पठार (उदयपुर और कुंभलगढ़ के मध्य स्थित)

🏔️ राजस्थान की चौथी सर्वोच्च चोटीजरगा (राजसमंद)

📌 अन्य पठारी क्षेत्र:
भैसरोगढ़ और बिजोलिया के बीच स्थित उपजाऊ क्षेत्रऊपर माल का पठार
उदयपुर में जरगा और रागा पहाड़ियों के बीच सदाबहार क्षेत्रदशहरो
चित्तौड़गढ़ का पठारी भागमेसा का पठार
उदयपुर का तश्तरीनुमा क्षेत्रगिरवा (चारों ओर पहाड़ियों से घिरा क्षेत्र)

निष्कर्ष

  • अरावली पर्वत न केवल राजस्थान की जलवायु एवं पारिस्थितिकी को संतुलित करता है, बल्कि यह वन्यजीवों और जैव विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है।
  • यह पश्चिमी राजस्थान को थार मरुस्थल के विस्तार से बचाने में सहायक है।
  • अरावली क्षेत्र में खनिज संपदा, वन संपदा एवं औषधीय पौधों की प्रचुरता पाई जाती है।
  • अरावली पर्वतमाला राजस्थान के जलवायु संतुलन, पारिस्थितिकी, खनिज संपदा और ऐतिहासिक महत्व के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • यह पर्वत न केवल राजस्थान को मरुस्थलीकरण से बचाने में सहायक है, बल्कि जल स्रोतों एवं जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  •  अरावली की संरचना उत्तर से दक्षिण की ओर ऊँचाई में वृद्धि दर्शाती है।
  •  दक्षिणी अरावली, विशेष रूप से माउंट आबू, राजस्थान का सबसे ऊँचा भाग है।
  •  यह पर्वतमाला राजस्थान की जलवायु, पारिस्थितिकी और भूगोल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इस प्रकार, अरावली पर्वतमाला राजस्थान एवं भारत के भूगोल, पर्यावरण तथा जनजीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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