परिचय
राजस्थान का इतिहास वीरता, बलिदान और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। इसमें रणथम्भौर दुर्ग और वहाँ शासन करने वाले चौहान वंश का विशेष स्थान है। पृथ्वीराज चौहान की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रणथम्भौर के चौहान शासकों ने दिल्ली सल्तनत के शक्तिशाली सुल्तानों से संघर्ष किया। विशेषकर हम्मीर देव चौहान (1282–1301 ई.) का नाम इतिहास में अमर है, जिन्होंने अपने साहस, हठ और बलिदान से राजस्थान को गौरवान्वित किया।
रणथम्भौर के चौहान वंश की स्थापना (1194 ई.)
1194 ई. में पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र गोविन्दराज ने रणथम्भौर (खैंभौर) में चौहान वंश की स्थापना की।
गोविन्दराज को अजमेर से हटाकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने रणथम्भौर दिया था।
गोविन्दराज के बाद क्रमशः – वाल्हण, प्रहलादन, वीरनारायण, वाघभट्ट और जैत्रसिंह ने शासन किया।
वीरनारायण और वाघभट्ट
वीरनारायण ने इल्तुतमिश से संघर्ष किया और वीरगति को प्राप्त हुए।
उनके बाद वाघभट्ट शासक बने।
वाघभट्ट के समय दिल्ली के सुल्तान बलबन ने रणथम्भौर पर कई बार आक्रमण किया।
जैत्रसिंह (32 वर्षों का शासन)
वाघभट्ट के बाद जैत्रसिंह शासक बने और उन्होंने 32 वर्षों तक शासन किया।
उनकी याद में बनी 32-खम्भों की छतरी आज भी प्रसिद्ध है।
हम्मीर देव चौहान (1282–1301 ई.)
जैत्रसिंह के पुत्र हम्मीर देव चौहान 1282 ई. में रणथम्भौर के गद्दीनशीन बने।
वे अपने हठ और साहस के लिए प्रसिद्ध थे।
उन्होंने दिल्ली सल्तनत को कर देने से इंकार कर दिया और लगातार संघर्ष किया।
हम्मीर देव और दिल्ली सल्तनत
हम्मीर देव के समय दिल्ली में ये शासक समकालीन थे:
गुलाम वंश: केकुबाद और क्यूमर्स
खिलजी वंश: जलालुद्दीन खिलजी और अलाउद्दीन खिलजी
खिलजी आक्रमण और संघर्ष
1. जलालुद्दीन खिलजी के आक्रमण
1290 ई. – झाईन दुर्ग पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की।
1292 ई. – रणथम्भौर पर आक्रमण किया, लेकिन असफल रहा।
उसने कहा – “मैं ऐसे सैकड़ों किलों को मुसलमान के एक बाल के बराबर महत्व नहीं देता।”
2. अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण
आक्रमण के कारण:
हम्मीर देव द्वारा कर न देना।
मंगोल विद्रोहियों (मीर मुहम्मद शाह व कैमुद) को शरण देना।
गुजरात और सम्पूर्ण भारत पर विजय की महत्वाकांक्षा।
(i) हिन्दुवाट का युद्ध (1299 ई.)
हुआ बनास नदी के तट पर।
हम्मीर की ओर से सेनापति – भीमसिंह व धर्मसिंह।
अलाउद्दीन की ओर से – नुसरत खाँ व उलूग खाँ।
इस युद्ध में उलूग खाँ मारा गया, नुसरत खाँ घायल हुआ।
भीमसिंह वीरगति को प्राप्त हुए।
(ii) रणथम्भौर का युद्ध (1301 ई.)
अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं रणथम्भौर पर चढ़ाई की।
हम्मीर के सेनापति रणमल व रतिपाल ने विश्वासघात किया।
अमीर खुसरो ने लिखा – “आज कुर्फ का गढ़, इस्लाम का घर हो गया।”
11 जुलाई 1301 ई. को रणथम्भौर दुर्ग पर खिलजी का अधिकार हो गया।
राजस्थान का प्रथम साका और जौहर
1301 ई. में रणथम्भौर दुर्ग में राजस्थान का पहला साका और जौहर हुआ।
जौहर का नेतृत्व – रंगदेवी और देवलदेवी ने किया।
हम्मीर देव ने तलवार उठाई और युद्धभूमि में वीरगति पाई।
इसे केसरिया हम्मीर की उपाधि मिली।
हम्मीर देव का धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन
गुरु: राघव देव
कवि: बीजादित्य (विद्याधर)
हम्मीर ने कोटियज्ञ का आयोजन किया और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन किया।
हम्मीर देव पर आधारित ग्रंथ
- हम्मीर महाकाव्य – नयनचन्द्र सूरी
- हम्मीर रासो – जोधराज / सारंगधर
- हम्मीरायण – भाण्ड व्यास
- श्रृंगारहार – चन्द्रशेखर
- हम्मीर हठ – जयसिंह सूरी
- हम्मीर बंध बंधन – अमृत कैलाश
- हम्मीर मानमर्दन – अज्ञात कवि
- खजाइन–उल–फुतूह – अमीर खुसरो
निष्कर्ष
रणथम्भौर का चौहान वंश भारतीय इतिहास का गौरव है। हम्मीर देव चौहान ने अपने साहस और हठ से दिल्ली सल्तनत की नींव हिला दी। उनका बलिदान राजस्थान की वीरता की अमर गाथा है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1. रणथम्भौर के चौहान वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर: पृथ्वीराज चौहान तृतीय का पुत्र गोविन्दराज (1194 ई.)।
प्रश्न 2. हम्मीर देव चौहान का शासनकाल कब था?
उत्तर: 1282 ई. से 1301 ई. तक।
प्रश्न 3. राजस्थान का पहला साका कहाँ हुआ था?
उत्तर: 1301 ई. में रणथम्भौर में, हम्मीर देव के नेतृत्व में।
प्रश्न 4. जौहर का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर: रंगदेवी और देवलदेवी ने।
प्रश्न 5. हिन्दुवाट का युद्ध कब हुआ था?
उत्तर: 1299 ई. में, बनास नदी के तट पर।
प्रश्न 6. अमीर खुसरो ने रणथम्भौर के युद्ध का वर्णन कहाँ किया है?
उत्तर: खजाइन-उल-फुतूह ग्रंथ में।
प्रश्न 7. हम्मीर देव का गुरु कौन था?
उत्तर: राघव देव।
प्रश्न 8. हम्मीर देव पर कौन-कौन से ग्रंथ रचे गए?
उत्तर: हम्मीर महाकाव्य, हम्मीर रासो, हम्मीरायण, हम्मीर हठ आदि।
प्रश्न 9. रणथम्भौर का किला किस सुल्तान ने जीता?
उत्तर: अलाउद्दीन खिलजी ने 1301 ई. में।
प्रश्न 10. “32-खम्भों की छतरी” किसकी स्मृति में बनी है?
उत्तर: जैत्रसिंह की 32 वर्षों की शासनावधि की स्मृति में।