राजस्थान का प्राक-इतिहास एवं प्रमुख सभ्यताएँ

राजस्थान का प्राक-इतिहास एवं प्रमुख सभ्यताएँ

राजस्थान का इतिहास अत्यंत प्राचीन एवं गौरवशाली है। यहाँ के प्रागैतिहासिक अवशेष, पाषाण युगीन उपकरण, ताम्रपाषाण सभ्यताएँ और हड़प्पा संस्कृति से जुड़े पुरातात्विक स्थल यह दर्शाते हैं कि राजस्थान मानव सभ्यता की उत्पत्ति और विकास का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र रहा है। इस लेख में हम राजस्थान के प्राक-इतिहास, पाषाण काल से लेकर ताम्रपाषाण काल और कालीबंगा जैसी प्रमुख सभ्यताओं का अध्ययन करेंगे।

इतिहास के कालखंड

  1. प्राक-इतिहास (25 लाख ई.पू. से 3000 ई.पू.) – पाषाण काल

  2. आध-इतिहास (3000 ई.पू. से 600 ई.पू.) – सिंधु सभ्यता एवं वैदिक काल

  3. ऐतिहासिक काल (600 ई.पू. से प्रारम्भ) – महाजनपद काल से आरम्भ

👉 राजस्थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण का कार्य सर्वप्रथम 1871 ई. में ए.सी. कार्ताइल ने किया।

पाषाण काल (Stone Age)

पुरापाषाण काल

  • जयपुर एवं इन्द्रगढ़ से हैंडएक्स प्राप्त (1870 ई. में C.A. हैकर द्वारा)।

  • भरतपुर के दर से शैलाश्रय

  • जालौर से उपकरण प्राप्त – आलचिन।

  • झालावाड़ – खोजकर्ता सेटनकार

मध्यपाषाण काल

  • यह माइक्रोलिथिक औजारों का काल था।

  • राजस्थान में प्रमुख स्थल – तिलवाड़ा (बरमेर) एवं बागौर (भीलवाड़ा)

  • यहाँ से पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए।

नवपाषाण काल

  • इसे नियोलिथिक युग कहा जाता है।

  • इस काल में –

    • कृषि एवं पशुपालन का आरम्भ

    • मृदभाण्ड (Pottery) का निर्माण

ताम्रपाषाण काल (Chalcolithic Age)

  • समय: 2500 ई.पू. से 700 ई.पू.

  • इसमें ताम्र और पाषाण दोनों प्रकार के औजारों का उपयोग हुआ।

  • राजस्थान की प्रमुख ताम्रपाषाण सभ्यता – गणेश्वर सभ्यता (सीकर)

  • डॉ. विजय कुमार ने रेडियोकार्बन विधि से गणेश्वर को “भारतीय ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी” बताया।

लौह काल (Iron Age)

  • प्रमुख स्थल – नोट (भरतपुर), जोधपुरा (जयपुर), सुनारी (झुंझुनू)

  • यहाँ लौहा गलाने की भट्टियाँ और प्रचुर मात्रा में लौह उपकरण मिले।

  • राजस्थान को प्राचीन भारत का टाटानगर भी कहा जाता है।


कालीबंगा सभ्यता (Kalibangan Civilization)

खोज एवं उत्खनन

  • खोजकर्ता: अमलानंद घोष (1952) – घग्घर नदी (सरस्वती) के किनारे।

  • उत्खनन कार्य: बी.बी. लाल और बी.के. थापर (1961) के निर्देशन में।

  • बाद में एम.डी. खरे, जे.पी. जोशी, के.एम. श्रीवास्तव आदि ने कार्य आगे बढ़ाया।

  • 1919 में एल.पी. टेस्सितौरी ने सबसे पहले कालीबंगा का उल्लेख किया।

  • अर्थ – “काली चूड़ियाँ” (काली = काला, बंगा = चूड़ी) से नामकरण।

  • दशरथ शर्मा ने इसे सिंधु साम्राज्य की तीसरी राजधानी बताया।

👉 कालीबंगा का काल: 3000 ई.पू. – 1900 ई.पू.
👉 यह सभ्यता प्राक-हड़प्पा और विकसित हड़प्पा दोनों चरणों का प्रतिनिधित्व करती है।

  • स्वतंत्रता के बाद उत्खनन किया गया राजस्थान का पहला पुरातात्त्विक स्थल।

  • 1986 में कालीबंगा पुरातात्त्विक संग्रहालय की स्थापना।

  • हरियाणा की राखीगढ़ी व गुजरात की धौलावीरा के बाद, राजस्थान का सबसे बड़ा पुरास्थल।

नगर योजना

  • सुव्यवस्थित शतरंज पद्धति की नगर योजना।

  • सड़कें 5 से 5.5 मीटर चौड़ी, समकोण पर काटती हुई।

  • दो मुख्य भाग:

    1. दुर्ग (पश्चिमी टीला) – सुरक्षा प्राचीर से घिरा, धार्मिक स्थल व अग्निवेदिकाएँ।

    2. निचला नगर (पूर्वी टीला) – साधारण बस्तियाँ, चबूतरे, कुएँ।

  • भवन प्रायः एक मंजिला, कच्ची ईंटों से निर्मित, आँगन सहित।

 

विशेष साक्ष्य

  1. जुते हुए खेत – विश्व का प्राचीनतम प्रमाण (गेंहूँ, जौ, बाजरा की मिश्रित खेती)।

  2. भूकम्प का प्राचीनतम साक्ष्य

  3. सात अग्निवेदिकाएँ – धार्मिक अनुष्ठान हेतु।

  4. लकड़ी की नालियाँ – घरों से गंदा पानी बाहर निकालने हेतु।

  5. मृण पट्टिका पर सींगयुक्त देवता

  6. शल्य चिकित्सा का प्रमाण – बच्चे की खोपड़ी में छिद्र कर उपचार।

  7. सैंधव लिपि – अभी अपठनीय।

  8. बेलनाकार मुहरें – मेसोपोटामिया से साम्यता।

  9. कब्रिस्तान – पूर्ण समाधि, आंशिक समाधि और दाह संस्कार – तीन प्रकार की अंत्येष्टि।

  10. मिट्टी, ताँबे और कांसे की वस्तुएँ।

  11.  लाल रंग के बर्तन, खिलौने, चौसर की गोटियाँ

कला व संस्कृति

  • मिट्टी की मूर्तियाँ – वृषभ, कुत्ता, हाथी, बगुला आदि।

  • खिलौना रेलगाड़ी, चौसर की गोटियाँ।

  • लाल रंग के बर्तन जिन पर काले-सफेद रेखांकन।

  • ताँबे के औजार, कांस्य दर्पण, हाथीदाँत की कंघी, शंख-वलय।

पतन के कारण

  • घग्घर नदी का मार्ग बदलना।

  • भयंकर सूखा।

  • प्राकृतिक आपदाएँ (भूकम्प)।

👉 विद्वान – बीरबल साहनी, गुरुदीप सिंह, डेल्स, गोपीनाथ शर्मा आदि ने अपने मत प्रस्तुत किए।


सारांश

राजस्थान का प्राक-इतिहास पाषाण काल से लेकर लौह काल और ताम्रपाषाण सभ्यता तक मानव जीवन के क्रमिक विकास को दर्शाता है। गणेश्वर और कालीबंगा जैसे पुरास्थल यह प्रमाणित करते हैं कि राजस्थान न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व की प्राचीन सभ्यताओं का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र रहा है। कालीबंगा की नगर योजना, कृषि, शिल्पकला और धार्मिक साक्ष्य इसे हड़प्पा संस्कृति का एक प्रमुख अंग बनाते हैं।

FAQs

प्रश्न 1. राजस्थान में सर्वप्रथम पुरातात्विक सर्वेक्षण कब हुआ था?
उत्तर: 1871 ई. में ए.सी. कार्ताइल ने।

प्रश्न 2. गणेश्वर सभ्यता को किसने ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी कहा?
उत्तर: डॉ. विजय कुमार ने।

प्रश्न 3. कालीबंगा की खोज किसने की थी?
उत्तर: 1952 ई. में अमलानंद घोष ने।

प्रश्न 4. कालीबंगा से प्राप्त सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर: जुते हुए खेत, सात अग्निवेदिकाएँ, लकड़ी की नालियाँ, भूकम्प के प्रमाण, सैंधव लिपि, बेलनाकार मुहरें।

प्रश्न 5. कालीबंगा सभ्यता के पतन का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर: घग्घर नदी के मार्ग में परिवर्तन और सूखा।

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