भूमिका:
आधुनिक इतिहास का तात्पर्य 18वीं सदी के उत्तरार्ध से स्वतंत्रता प्राप्ति (1947) और राज्य पुनर्गठन तक के काल से है। यह काल अंग्रेजी शासन, समाज सुधार आंदोलनों और स्वतंत्रता संग्राम के योगदान से भरपूर रहा।
1. राजपूताना की राजनीतिक स्थिति:
- राजस्थान को अंग्रेजों ने ‘राजपूताना’ नाम दिया, जिसमें 19 रियासतें और अजमेर-मेरवाड़ा ब्रिटिश प्रांत था।
- रियासतों को ब्रिटिश संरक्षण की नीति के तहत अधीन कर लिया गया।
2. ब्रिटिश प्रभुत्व और सुधार:
- अंग्रेजों ने रेलवे, डाक व्यवस्था, शिक्षा संस्थान, और प्रशासनिक ढांचे की शुरुआत की।
- अजमेर एक प्रमुख शिक्षा केंद्र बना।
3. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
- ठाकुर केसरी सिंह बारहठ ने क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लिया।
- वीर दुर्गादास राठौड़, जय नारायण व्यास, हरिभाऊ उपाध्याय जैसे नेताओं ने जन जागरण किया।
- राजस्थान सेवा संघ, मेवाड़ प्रजामंडल, मारवाड़ हितैषिणी सभा जैसे संगठन सक्रिय रहे।
4. महिला सहभागिता:
- रमादेवी देशपांडे, गोरजा देवी, सावित्री देवी जैसे नाम स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख रहे।
5. सामाजिक सुधार आंदोलन:
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाया।
- शिक्षा, छुआछूत उन्मूलन और बाल विवाह विरोधी आंदोलन प्रमुख रहे।
6. राजस्थान का एकीकरण (1948-56):
- 1948 से 1956 तक कुल 7 चरणों में राजस्थान की 19 रियासतों का एकीकरण हुआ।
- सरदार वल्लभभाई पटेल और वोहरा समिति के योगदान से राज्य का गठन संभव हुआ।
- 1 नवंबर 1956 को राजस्थान पूर्णतः एक राज्य बना, जयपुर को राजधानी घोषित किया गया।
निष्कर्ष:
राजस्थान का आधुनिक इतिहास देशभक्ति, जन-जागरण और संगठनात्मक कुशलता का प्रतीक है। इस युग ने राजस्थान को आधुनिक भारत का अभिन्न अंग बनाया।
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