चौहान वंश का इतिहास

भारत में राजपूतों का उद्भव और चौहान वंश का ऐतिहासिक महत्व

भारत की राजनीतिक एकता गुप्तकाल में स्थापित हुई थी। हर्षवर्धन के शासनकाल (606-647 ई.) के दौरान उत्तर भारत में एक मजबूत केंद्रीय सत्ता रही। लेकिन हर्षवर्धन की मृत्यु (647 ई.) के बाद यह राजनीतिक एकता धीरे-धीरे समाप्त होने लगी। उत्तर भारत में अनेक छोटे-छोटे राज्यों का उद्भव हुआ जो आपस में लगातार संघर्षरत रहते थे। इन संघर्षों और विभाजनों के बीच <b>नए राजवंश उभरे जिन्हें हम राजपूत राजवंश के नाम</b> से जानते हैं। राजपूतों की उत्पत्ति, उनके विभिन्न वंश, प्रमुख शासक और उनके प्रशासनिक, युद्ध संबंधी और सांस्कृतिक योगदान पर अनेक विद्वानों ने अपने मत प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में हम विस्तारपूर्वक चौहान वंश, पृथ्वीराज चौहान और उनके सामरिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक योगदान पर चर्चा करेंगे। <b>इनमें चौहान वंश का विशेष महत्व है, जिसने राजस्थान और उत्तर भारत के बड़े हिस्से पर अपनी सत्ता कायम की।</b>

राजपूतों की उत्पत्ति: प्रमुख सिद्धांत

राजपूतों की उत्पत्ति को लेकर इतिहासकार और विद्वान अलग-अलग मत रखते हैं। प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

1. अग्निकुण्ड से उत्पत्ति का सिद्धांत

  • पृथ्वीराज रासो के रचयिता चन्दरबरदाई के अनुसार, राजपूतों की उत्पत्ति मुनि वशिष्ठ द्वारा आबू के अग्निकुण्ड (यज्ञकुण्ड) से हुई।

  • मुनि वशिष्ठ ने यज्ञ कुण्ड की रक्षा हेतु तीन योद्धा उत्पन्न किए: परमार, चालुक्य और प्रतिहार।

  • जब ये तीनों असमर्थ सिद्ध हुए, तो चौथा और सबसे शक्तिशाली योद्धा चौहान उत्पन्न हुआ।

  • जेम्स टॉड ने भी इस सिद्धांत को स्वीकार किया।

2. ब्राह्मणों से उत्पत्ति का सिद्धांत

  • डॉ. भण्डारकर के अनुसार, चौहान वंश का आदिपुरुष वासुदेव चौहान वत्स गोत्रीय ब्राह्मण था।

  • यह तथ्य बिजौलिया शिलालेख (1169-1170 ई.) से प्रमाणित होता है।

3. वैदिक आर्यों की संतान

  • जी.एच. ओझा एवं सी.वी. वैद्य ने यह सिद्ध किया कि अश्व पूजा, अस्त्र पूजा और बलि जैसी परंपराएँ यह संकेत देती हैं कि राजपूत वैदिक आर्यों की क्षत्रिय संतान थे।

4. विदेशी वंश का सिद्धांत

  • जेम्स टॉड ने राजपूतों को शक, सीथियन और हूण वंश का माना।

  • उनके अनुसार, इन जातियों को अग्नि संस्कार (अग्निकुण्ड) द्वारा क्षत्रिय वर्ण में शामिल किया गया।

  • राजपूतों की रीति-रिवाजों में इन विदेशी जातियों के प्रभाव दिखाई देता है, जैसे: अश्वपूजा, अश्वमेघ, अस्त्रपूजा और अस्त्र प्रशिक्षण।

5. अन्य विद्वानों के मत

  • ब्रोंच-गुर्जरा ताम्रपत्र के आधार पर कनिंघम ने राजपूतों को यू-ची जाति और कुषाण वंश से संबंधित माना।

  • अन्य विद्वानों ने चौहान वंश को सूर्यवंशी, चंद्रवंशी और ब्राह्मणवंशी के रूप में वर्गीकृत किया।

अजमेर के चौहान वंश का उद्भव और इतिहास

वासुदेव चौहान और प्रारंभिक चौहान शासन

  • वासुदेव चौहान को चौहान वंश का आदिपुरुष माना जाता है।

  • उनका शासनकाल लगभग 551 ई. का माना जाता है।

  • उनके राज्य का प्रमुख भाग सपादलक्ष (सांभर, शाकम्भरी) और राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी।

  • बिजौलिया अभिलेख के अनुसार, वासुदेव चौहान ने सांभर झील का प्रवर्तन किया।

  • यह अभिलेख हमें राजस्थान के प्राचीन नगरों के नाम भी बताता है: जाबालिपुर (जालौर), शाकम्भरी (सांभर), श्रीमाल (भीनमाल), अहिच्छत्रपुर (नागौर)।

गुवक और चौहान साम्राज्य का विस्तार

  • गुवक प्रथम नागभट द्वितीय का सामंत था। उसने चौहानों को गुर्जर प्रतिहारों की अधीनता से मुक्त करवाया।

  • गुवक ने हर्षनाथ मंदिर (सीकर) का निर्माण करवाया।

  • गुवक ने कन्नौज के शासक भोजराज से अपनी बहन कलावती का विवाह कर वैवाहिक संबंध स्थापित किए।

  • गुवक द्वितीय के पुत्र चन्दनराज ने दिल्ली के तोमरों को परास्त किया।

वाक्पतिराज और विग्रहराज द्वितीय

  • वाक्पतिराज ने प्रतिहारों को परास्त कर राज्य का विस्तार किया।

  • विग्रहराज द्वितीय ने गुजरत के चालुक्य शासक मूलराज को हराया और अपनी सीमा शिवालिक पहाड़ी (उत्तरप्रदेश) तक बढ़ाई।

  • विग्रहराज द्वितीय ने बीसलपुर झील बनवाई और संस्कृत पाठशाला बनवाकर नाटकों का अध्ययन कराया।

पृथ्वीराज चौहान का शासनकाल (1177-1192 ई.)

राज्याभिषेक और प्रारंभिक शासन

  • पृथ्वीराज चौहान 11 वर्ष की आयु में अजमेर का शासक बना।

  • माता कर्पूरी देवी ने राज्य का प्रशासन संभाला और कदम्बवास (कैम्बास) की सहायता ली।

प्रारंभिक युद्ध और सैन्य अभियान

  • 1182 ई. में पृथ्वीराज ने महोबा का युद्ध लड़ा और चंदेल शासक परमार्दिदेव को परास्त किया।

  • 1184 ई. में गुजरात के चालुक्य शासक भीमदेव द्वितीय से युद्ध हुआ।

तराइन के युद्ध

  • पहला युद्ध (1191 ई.): मुहम्मद गौरी को पराजित किया।

  • दूसरा युद्ध (1192 ई.): पृथ्वीराज चौहान की पराजय और भारत में तुर्की शासन की शुरुआत।

  • हार के कारण: संगठनात्मक क्षमता की कमी, गुप्तचर व्यवस्था का अकर्मण्य होना और पैदल सेना पर निर्भरता।

प्रशासन और सांस्कृतिक योगदान

  • शास्त्रार्थ और वाद-विवाद का आयोजन किया।

  • धार्मिक सहिष्णुता का पालन किया। जैन और शैव धर्म के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया।

  • बीसलपुर बांध के पास महादेव मंदिर का निर्माण करवाया।

दरबार और विद्वान

  • दरबार में विद्वान: जयानक, पृथ्वीभट्ट, चंदरबरदाई, विद्यापति गौड़, विश्वरूप, जनार्दन

  • इन विद्वानों ने पृथ्वीराज के वीरता और साहित्यिक योगदान का लेखा-जोखा रखा।

  • रचनाएँ: पृथ्वीराज विजय और पृथ्वीराज रासो

चौहान वंश के प्रमुख शासक और उनके योगदान

शासककालप्रमुख योगदान
वासुदेव चौहान551 ई.सांभर झील का प्रवर्तन
गुवक प्रथमगुर्जर प्रतिहारों की अधीनता से मुक्ति
चन्दनराजदिल्ली के तोमरों पर विजय
वाक्पतिराजप्रतिहारों और तोमरों को परास्त किया
विग्रहराज द्वितीय973 ई.बीसलपुर झील निर्माण, चालुक्य मूलराज पर विजय
अजयराज1105-1133 ई.अजमेर का निर्माण, मालवा पर आक्रमण
अर्णोराज1133-1155 ई.तुर्क और मालवा के शासकों पर विजय
विग्रहराज चतुर्थ1158-1163 ई.दिल्ली पर अधिकार, संस्कृत पाठशाला निर्माण
पृथ्वीराज प्रथम1105 ई.पुष्कर में ब्राह्मणों के लिए मुफ्त भोजन, युद्ध और प्रशासनिक सुधार
पृथ्वीराज तृतीय1177-1192 ई.तराइन के युद्ध, धार्मिक सहिष्णुता, शिक्षा और साहित्यिक योगदान

प्रमुख ऐतिहासिक स्थल और स्मारक

  • सांभर झील: वासुदेव चौहान द्वारा प्रवर्तित।

  • अजमेर का दुर्ग (गढ़बीठली/तारागढ़): अजयराज द्वारा निर्माण।

  • बीसलपुर बांध और महादेव मंदिर: विग्रहराज द्वितीय और पृथ्वीराज चौहान।

  • अजमेर की संस्कृत पाठशाला: विग्रहराज चौथे द्वारा निर्माण।

  • पार्श्वनाथ और जैन मंदिर: धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक।

पृथ्वीराज चौहान का साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान

  • पृथ्वीराज रासो: कवि चंदरबरदाई ने लिखा। यह भारत के मध्यकालीन युद्धों और शासकों पर आधारित महाकाव्य है।

  • शास्त्रार्थ और धर्मविवाद: अजमेर में नियमित रूप से आयोजित।

  • कला और वास्तुकला: बीसलपुर बांध और मंदिरों का निर्माण, अजमेर दुर्ग।

  • विद्वानों का संरक्षण: जयानक, पृथ्वीभट्ट और अन्य विद्वानों को दरबार में रखा गया।

चौहान वंश की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ

  • अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा (विग्रहराज चतुर्थ द्वारा संस्कृत विद्यालय, बाद में मस्जिद में परिवर्तित)।

  • हर्षनाथ मंदिर (सीकर), सांभर झील का विकास, पुष्कर तीर्थ का संरक्षण

  • चौहान शासक विद्या, कला और साहित्य के बड़े संरक्षक थे

निष्कर्ष

राजपूतों की उत्पत्ति को लेकर अनेक मत हैं—अग्निकुण्ड से उत्पत्ति, वैदिक क्षत्रिय वंशज, विदेशी मूल और ब्राह्मण संतान। चौहान वंश इनमें से एक प्रमुख राजवंश था जिसने राजस्थान और उत्तर भारत में अपनी शक्ति स्थापित की। पृथ्वीराज चौहान के साथ यह वंश शिखर पर पहुँचा।<br/> चौहान वंश ने भारत के मध्यकालीन इतिहास में स्वाभिमान, शौर्य और स्वतंत्रता की रक्षा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। <b>पृथ्वीराज चौहान</b> की वीरता आज भी भारतीय संस्कृति में अमर है। राजपूत वंश की इस परंपरा ने राजस्थान और उत्तर भारत की ऐतिहासिक धारा को नई दिशा दी।

📌 FAQs

Q1. राजपूतों की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?
A. गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद मध्यकाल में छोटे-छोटे राज्यों के उदय के साथ राजपूतों की उत्पत्ति हुई।

Q2. राजपूतों की उत्पत्ति का प्रमुख सिद्धांत कौन-सा है?
A. अग्निकुण्ड सिद्धांत और वैदिक क्षत्रिय संतान सिद्धांत प्रमुख हैं।

Q3. चौहान वंश का पहला शासक कौन था?
A. वासुदेव चौहान (551 ई.)।

Q4. चौहान वंश की प्रारंभिक राजधानी कहाँ थी?
A. अहिच्छत्रपुर (नागौर)।

Q5. सांभर झील का प्रवर्तक कौन था?
A. वासुदेव चौहान।

Q6. हर्षनाथ मंदिर का निर्माण किसने कराया?
A. गुवक प्रथम ने।

Q7. अजमेर नगर की स्थापना किसने की?
A. अजयराज प्रथम ने।

Q8. चौहान वंश का सबसे महान शासक कौन माना जाता है?
A. पृथ्वीराज चौहान।

Q9. तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ?
A. 1191 ई.।

Q10. तराइन के दूसरे युद्ध में क्या हुआ?
A. 1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी से हार गए।

Q11. चौहान वंश के शासकों का प्रमुख क्षेत्र क्या था?
A. सपादलक्ष (सांभर, शाकम्भरी, नागौर, जांगल प्रदेश)।

Q12. बिजौलिया शिलालेख किससे संबंधित है?
A. चौहान वंश और वासुदेव चौहान से।

Q13. चौहान वंश को सूर्यवंशी किस ग्रंथ में बताया गया है?
A. पृथ्वीराज विजय, हम्मीर रासो।

Q14. चौहान वंश को चंद्रवंशी किस अभिलेख में बताया गया है?
A. अचलेश्वर मंदिर लेख।

Q15. चौहान वंश को ब्राह्मणवंशीय किसने कहा?
A. कायमखां रासो और चंद्रावती लेख में।

Q16. अढ़ाई दिन का झोपड़ा किस शासक से संबंधित है?
A. विग्रहराज चतुर्थ।

Q17. गुवक प्रथम किसका सामंत था?
A. गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय का।

Q18. चौहान वंश की राजधानी बाद में कहाँ स्थानांतरित हुई?
A. अजमेर।

Q19. चौहान वंश की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ क्या हैं?
A. हर्षनाथ मंदिर, अढ़ाई दिन का झोपड़ा, पुष्कर तीर्थ का संरक्षण।

Q20. पृथ्वीराज चौहान को किस कारण याद किया जाता है?
A. उनकी वीरता, देशभक्ति और तराइन के युद्धों में पराक्रम के लिए।

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