अर्द्धशुष्क-मरुस्थल-राजस्थान

पश्चिम मरुस्थलीय प्रदेश : अर्द्धशुष्क मरुस्थल

✍️अर्द्धशुष्क मरुस्थल को चार भागो में बांटा गया है | 👉

  1. लूनी बेसिन
  2. घग्घर के मैदान
  3. नागौर उच्चभूमि 
  4. शेखावाटी आंतरिक जल प्रवाह क्षेत्र

1. लूनी बेसिन 👉

  • लूनी बेसिन को गोड़वाड़ प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है | 
  • गोड़वाड़ प्रदेश के अंतर्गत नागौर का दक्षिणी भाग, जोधपुर का दक्षिणी पूर्वी भाग, बाड़मेर का  दक्षिणी पूर्वी भाग ,जालौर, पाली, गोड़वाड़ प्रदेश या लूनी बेसिन में आते हैं | 
  • लूनी नदी की कुल लंबाई 495 किलोमीटर है |
  • राजस्थान में कुल लंबाई 330 किलोमीटर है ( 67 प्रतिशत ) 
  • लूनी नदी का उद्गम नागपुर अजमेर से होता है जहां पर इसे  साबरमती नदी कहते हैं | 
  • पुष्कर से आने वाली सरस्वती नदी मिलने के बाद इसे लूनी नदी कहते हैं | 
  • पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी या रेगिस्तान की गंगा या मारवाड़ की  गंगा आदि नाम से जानी जाती है | 
  • इस लणवती नदी, आदि खारी आदि मीठी नदी भी कहते है | 
  • कालिदास ने लूनी नदी को अंतः सलिला कहा है |  
  • जालौर जिले में लूनी नदी का प्रवाह क्षेत्र रेल या नेहड़ा (नेड़ा ) कहलाता है | 
  • लूनी नदी के किनारे तिलवाड़ा बाड़मेर में पशु मेला का  आयोजन होता है जो पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला है ,और राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला परबतसर (नागौर) तेजाजी में लगता है | 
  • जोधपुर के पिचियाक  गांव में लूनी नदी पर बांध बना हुआ है, जिसे जसवंतसागर बांध कहते हैं |  जिसका निर्माण जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह सेकंड ने करवाया | 
  • गुजरात के कच्छ में कच्छ के रण में लूनी नदी विलुप्त हो जाती है 
  • लूनी नदी जिन जिलों में बहती है वह निचे दिए हुए है 👉 
  • अजमेर, बाड़मेर, नागौर, जालौर जोधपुर, पाली |  
  • ट्रिक :-  अब ना जा जोधा पाली 
  • लूनी नदी की सहायक नदियां 👉 
  • बांडी, जवाई, जोजड़ी, सागी, सुकड़ी, मीठड़ी, लीलड़ी |   
  •  ट्रिक :- बाज सासु मिली | 
  • जोजड़ी  नदी एकमात्र ऐसी नदी है जो लूनी नदी से पश्चिम से आकर मिलती है | 

2. घग्घर के मैदान👉

  •  घग्घर नदी हिमाचल प्रदेश के शिवालिक की पहाड़ियों से कालका माता मंदिर के पास से  घग्घर नदी निकलती है | 
  •  घग्घर नदी को मृत नदी के नाम से भी जाना जाता है | 
  • राजस्थान में हनुमानगढ़ की टिब्बी  तहसील के तलवाड़ा गांव से प्रवेश करती हैं| भटनेर, हनुमानगढ़ में लुप्त हो जाती हैं |  

3. नागौर उच्चभूमि 👉

  • नागौर उच्च भूमि की  ऊंचाई 300 से 500 मी. है |  
  • जमीन में सोडियम क्लोराइड पाया जाता है |
  • पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है | 
  • नागौर राजस्थान की कुबडपट्टी भी कहलाता है |  
  • नागौर के झीले :-  सांभर, डीडवाना; नावा, कुचामन है |  

4. शेखावाटी आंतरिक जल प्रवाह क्षेत्र 👉

  • शेखावाटी में  सीकर, चूरू, झुंझुनू तीन जिले आते हैं |  
  • शेखावाटी  कान्तली  नदी का प्रवाह क्षेत्र है |  जो खंडेला की पहाड़ियों ( सीकर)  से निकलता है |  
  • गणेश्वर  सभ्यता कान्तली  नदी के किनारे ही विकसित हुई थी | 
  • शेखावाटी क्षेत्र के कच्चे-पक्के कुएं  जोहड़ या  नाडा कहलाते हैं |  
  • शेखावाटी क्षेत्र में बालुका स्तूप के मध्य बनने वाली तालाब सर  कहलाते हैं जैसे:- सलिसर, मानसर |  
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