राजस्थान में सिंचाई के स्रोत

राजस्थान में सिंचाई के स्रोत: एक विस्तृत अध्ययन (2025)

राजस्थान एक शुष्क और अर्ध-शुष्क राज्य है जहाँ पानी की कमी एक बड़ी समस्या है। कृषि राज्य की प्रमुख आजीविका होने के कारण सिंचाई के साधनों का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इस लेख में हम राजस्थान में सिंचाई के विभिन्न स्रोतों, प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं और उनकी उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

राजस्थान में सिंचाई के मुख्य स्रोत

राज्य में सिंचाई मुख्य रूप से तीन स्रोतों से होती है:

  1. कुएं और नलकूप:
    • सिंचित क्षेत्र का लगभग 70.75% भाग कुओं और नलकूपों के माध्यम से होता है।
    • जयपुर जिला इसमें अग्रणी है।
  2. नहरें:
    • लगभग 25.30% सिंचाई नहरों द्वारा होती है।
    • गंगानगर जिला इसमें सबसे आगे है।
  3. तालाब:
    • शेष सिंचाई तालाबों के माध्यम से होती है।
    • भीलवाड़ा जिला तालाब सिंचाई में प्रमुख है।

राजस्थान में सर्वाधिक सिंचाई:

  • गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में होती है।

न्यूनतम सिंचाई:

  • डूंगरपुर और राजसमंद जिलों में होती है।

राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं

राजस्थान में सिंचाई परियोजनाएं उनके आकार और उद्देश्य के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित हैं:

1. बहुउद्देशीय परियोजनाएं:

  • इनमें पेयजल, विद्युत उत्पादन, सिंचाई आदि कार्य शामिल होते हैं।

प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाएं:

  • भाखड़ा नांगल परियोजना
  • व्यास परियोजना
  • माही बजाज सागर परियोजना

2. वृहद सिंचाई परियोजनाएं (1000 हेक्टेयर से अधिक)

  • इंदिरा गांधी नहर परियोजना
  • गंग नहर परियोजना
  • बीसलपुर परियोजना
  • ईसरदा बांध परियोजना
  • नर्मदा नहर परियोजना

3. मध्यम परियोजनाएं (2000 – 10,000 हेक्टेयर)

  • भीमसागर
  • छापी
  • सावन भादो
  • सोम कमला अम्बा
  • गरदड़ा

4. लघु परियोजनाएं (2,000 हेक्टेयर तक)

  • इनका उपयोग स्थानीय सिंचाई के लिए किया जाता है।

भाखड़ा नांगल परियोजना: राजस्थान की जीवनरेखा

परियोजना का महत्व:

  • यह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।

इतिहास:

  • सबसे पहले 1908 में प्रस्तावित।
  • निर्माण की शुरुआत मार्च 1948 में हुई।
  • 17 नवंबर 1955 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसकी आधारशिला रखी।
  • निर्माण अक्टूबर 1962 में पूरा हुआ।
  • इसे नेहरू ने “आधुनिक भारत का मंदिर” कहा।
Ads

मुख्य बांध:

  • भाखड़ा बांध:
    • सतलुज नदी पर स्थित
    • ऊंचाई: 225.55 मीटर (740 फीट)
    • विद्युत उत्पादन:
      • बायां किनारा: 594 MW
      • दायां किनारा: 785 MW
  • नांगल बांध:
    • 1952 में पूर्ण
    • ऊंचाई: 29 मीटर (95 फीट)
    • विद्युत गृह:
      • गंगूवाल: 77.65 MW
      • कोटला: 77.65 MW

नहरें:

  • भाखड़ा नहर:
    • 1954 में निर्माण पूर्ण
    • राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में जल आपूर्ति
  • बिस्ट दोआब नहर:
    • पंजाब को सिंचाई सुविधा प्रदान करती है

राजस्थान को लाभ:

  • 1959 के भाखड़ा समझौते के तहत 15.22% जल एवं विद्युत हिस्सा मिलता है।
  • हनुमानगढ़, चुरू, गंगानगर, सीकर, बीकानेर, झुंझुनू जिलों को लाभ

याद करने की ट्रिक – “भा-ई-बी-इ-न-भी-सा-सो-गर-छा” मंत्र

इस ट्रिक में हर अक्षर एक प्रमुख सिंचाई परियोजना या स्थान को दर्शाता है:

संकेत (कोड)पूरा नाम / परियोजनाविवरण
भाभाखड़ा नांगल परियोजनासतलज नदी पर, HP में स्थित
ईसरदा बांध परियोजनावृहद सिंचाई परियोजना
बीबीसलपुर परियोजनाटोंक जिले में, जयपुर को पेयजल आपूर्ति
इंदिरा गांधी नहर परियोजनासबसे बड़ी नहर परियोजना
नर्मदा नहर परियोजनागुजरात और दक्षिण राजस्थान में फैली
भीभीमसागर परियोजनामध्य परियोजना
सासावन भादो परियोजनामध्य सिंचाई परियोजना
सोसोम कमला अम्बा परियोजनामध्य सिंचाई परियोजना
गरगरदड़ा परियोजनालघु सिंचाई परियोजना
छाछापी परियोजनालघु सिंचाई परियोजना

कैसे याद रखें?

कहानी के रूप में ट्रिक:

भामानदार था, बीना र्ष्या के ए खेतों में भी सारी मेहनत करता, सोचता गर फसल अच्छी हो तो छा जाएगा!”

इस तरह की कहानी बनाकर विद्यार्थी मज़े से नाम और स्थान याद कर सकते हैं।

💡 याद करने की अनोखी ट्रिक: “कु-ना-ता”

राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख स्रोतों को याद रखने के लिए यह ट्रिक उपयोगी हो सकती है:

  • कु: कुएं और नलकूप
  • ना: नहरें
  • ता: तालाब

इस ट्रिक “कु-ना-ता” से आप आसानी से राजस्थान के सिंचाई स्रोतों को याद रख सकते हैं।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं?

  • कुएं, नलकूप, नहरें और तालाब।

Q2. राजस्थान में सबसे अधिक सिंचाई कहाँ होती है?

  • गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में सबसे अधिक सिंचाई होती है।

Q3. भाखड़ा नांगल परियोजना का राजस्थान में क्या महत्व है?

  • यह परियोजना राजस्थान को सिंचाई जल और विद्युत आपूर्ति प्रदान करती है, विशेषकर हनुमानगढ़, चुरू, गंगानगर, सीकर, बीकानेर और झुंझुनू जिलों में।

Q4. लघु सिंचाई परियोजनाएं क्या होती हैं?

  • जिनका कृषि क्षेत्र 2,000 हेक्टेयर से कम होता है।

Q5. भीलवाड़ा में सिंचाई का प्रमुख स्रोत क्या है?

  • तालाब।

Q.6. “कु-ना-ता” ट्रिक क्या है?

उत्तर: यह एक याद रखने की ट्रिक है जो राजस्थान के सिंचाई स्रोतों को याद रखने में मदद करती है: कु – कुएं और नलकूप, ना – नहरें, ता – तालाब।

निष्कर्ष

राजस्थान में सिंचाई के विविध स्रोतों ने राज्य की कृषि को जीवनदान दिया है। कुएं, नलकूप, नहरें और तालाब जैसे पारंपरिक स्रोत आज भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही, भाखड़ा नांगल जैसी बहुउद्देशीय परियोजनाएं राज्य की जल आवश्यकताओं को पूरा कर रही हैं। यदि इन संसाधनों का सतत और न्यायपूर्ण उपयोग किया जाए तो राजस्थान कृषि के क्षेत्र में और अधिक समृद्ध बन सकता है।

🔗 सरकारी स्रोतों से संदर्भ लिंक

Facebook
X
LinkedIn
Telegram
WhatsApp

Leave a Comment

Related Post

Ads

हमरे Whatsapp व टेलीग्राम ग्रुप से जुड़े

Recent Post

Ads

Share on

Facebook
X
LinkedIn
WhatsApp
Threads
Pinterest
Reddit
Tumblr
Telegram

Top Course