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the formation of Rajasthan's districts and divisions over time.

राजस्थान के एकीकरण के चरण : एक ऐतिहासिक दृष्टि

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उपरांत देश में विभिन्न रियासतों का एकीकरण आवश्यक हो गया। राजस्थान में भी इसी प्रक्रिया के अंतर्गत कुल 19 रियासतें और 3 ठिकाने शामिल किए गए।  राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में हुआ, जो कुल 8 वर्ष, 7 माह, और 14 दिनों में पूरा हुआ। आइए इन चरणों पर एक नज़र डालते हैं:

प्रथम चरण: मत्स्य संघ (18 मार्च 1948)

इस चरण में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतें और नीमराणा ठिकाना शामिल किए गए। उद्घाटन एन. वी. गाडगिल द्वारा किया गया और अलवर को राजधानी घोषित किया गया। राज प्रमुख के रूप में उदयभान सिंह धौलपुर नियुक्त हुए।

  • उद्घाटनकर्ता: एन. वी. गॉडविल
  • राजधानी: अलवर
  • राजप्रमुख: उदयभान सिंह (धौलपुर)

द्वितीय चरण: राजस्थान संघ (25 मार्च 1948)

बांसवाड़ा, बूंदी, डूंगरपुर, झालावाड़, कोटा, प्रतापगढ़, टोंक, किशनगढ़, शाहपुरा रियासतें और कुशलगढ़ (बांसवाड़ा) ठिकाना राजस्थान संघ में शामिल हुए। कोटा को राजधानी बनाया गया और महाराज भीम सिंह कोटा राज प्रमुख बने। इस चरण में पहली बार राज्य के नाम में “राजस्थान” शब्द जोड़ा गया।

  • उद्घाटनकर्ता: एन. वी. गॉडविल
  • राजधानी: कोटा
  • राजप्रमुख: महाराज भीम सिंह (कोटा)
  • प्रधानमंत्री: गोकुलराज असावा (शाहपुरा)

तृतीय चरण: संयुक्त राजस्थान (18 अप्रैल 1948)

इस चरण में उदयपुर रियासत को राजस्थान संघ में सम्मिलित किया गया। उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया और राजधानी उदयपुर बनाई गई। भूपाल सिंह उदयपुर को राज प्रमुख नियुक्त किया गया।

  • उद्घाटनकर्ता: जवाहरलाल नेहरू
  • राजधानी: उदयपुर
  • राजप्रमुख: भूपाल सिंह (उदयपुर)
  • प्रधानमंत्री: मानसिंह द्वितीय (जयपुर)

चतुर्थ चरण: वृहत् राजस्थान (30 मार्च 1949)

संयुक्त राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर को सम्मिलित किया गया। यह दिन राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है। राजधानी जयपुर घोषित हुई और महाराजा मानसिंह द्वितीय को राज प्रमुख बनाया गया।

  • उद्घाटनकर्ता: सरदार वल्लभभाई पटेल
  • राजधानी: जयपुर
  • महाराजा प्रमुख: भोपाल सिंह (उदयपुर)
  • राजप्रमुख: मानसिंह द्वितीय (जयपुर)
  • प्रधानमंत्री: हीरालाल शास्त्री (जयपुर)

पंचम चरण: संयुक्त वृहत् राजस्थान (15 मई 1949)

इस चरण में वृहत् राजस्थान और मत्स्य संघ का विलय हुआ, और राजधानी जयपुर ही रही।

षष्ठम चरण: राजस्थान संघ (7 जनवरी 1950)

संयुक्त वृहत् राजस्थान में सिरोही (आबू व दिलवाड़ा तहसील को छोड़कर) का विलय हुआ। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने पर इस राज्य को राजस्थान का नाम विधिवत रूप से प्राप्त हुआ।

सप्तम चरण: राजस्थान का वर्तमान स्वरूप (1 नवंबर 1956)

अंतिम चरण में राजस्थान संघ में अजमेर, मेरवाड़ा, आबू, दिलवाड़ा तहसील और मध्य प्रदेश का सुनील टप्पा शामिल हुआ। झालावाड़ जिले के सिरोंज क्षेत्र को मध्य प्रदेश में मिला दिया गया।

राजस्थान के एकीकरण की यह प्रक्रिया न केवल प्रशासनिक सुधार का प्रतीक थी, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध हुई। राजस्थान का वर्तमान स्वरूप इन्हीं सात चरणों का परिणाम है, जिसने इसे एक सशक्त और संगठित राज्य के रूप में स्थापित किया।

राजस्थान के जिलों और संभागों का गठन: एक विस्तृत अध्ययन

राजस्थान में जिलों और संभागों की प्रशासनिक संरचना समय-समय पर बदली है। 1 नवंबर 1956 को राजस्थान में कुल 26 जिले थे, लेकिन समय के साथ नए जिले बनाए गए और कुछ प्रशासनिक बदलाव भी हुए।

राजस्थान के जिलों का क्रमिक विकास

  • 1 नवंबर 1956 – राजस्थान का गठन हुआ और इसमें 26 जिले थे।
  • 15 अप्रैल 1982धौलपुर जिला बनाया गया।
  • 10 अप्रैल 1991बारां, दौसा, और राजसमंद तीन नए जिले बनाए गए।
  • 12 जुलाई 1994हनुमानगढ़ जिला बनाया गया।
  • 19 जुलाई 1997करौली जिला अस्तित्व में आया।
  • 26 जनवरी 2008प्रतापगढ़ जिला बनाया गया, जो उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा जिलों के हिस्सों से गठित हुआ।
  • 7 अगस्त 2023राजस्थान में 19 नए जिले बनाए गए, जो रामलुभाया समिति की सिफारिशों पर आधारित थे। इसके साथ ही, राजस्थान में तीन नए संभागसीकर, बांसवाड़ा, और पाली भी बनाए गए।

राजस्थान में वर्तमान जिलों और संभागों की स्थिति

वर्तमान में राजस्थान में कुल 41 जिले हैं। पहले 33 जिले थे, लेकिन 8 नए जिले जोड़ने के बाद कुल संख्या 41 हो गई।

नए बने 8 जिले:

  • बालोतरा
  • ब्यावर
  • डीडवाना-कुचामन
  • कोटपूतली-बहरोड़
  • खैरथल-तिजारा
  • सलूंबर
  • फलोदी
  • डीग

हालांकि, ललित के पावर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर कुछ प्रस्तावित जिलों को वापस हटा दिया गया।

संभागीय व्यवस्था में बदलाव

  • अप्रैल 1962 से 26 जनवरी 1987 के बीच राजस्थान की संभागीय व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी
  • इस समय राज्य के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे।
  • बाद में संभागीय व्यवस्था पुनः बहाल की गई, ताकि प्रशासन को सुचारु रूप से संचालित किया जा सके।

संभागीय आयुक्त की भूमिका:

  • संभागीय आयुक्त को प्रशासनिक कार्यों का अनुभव होता है।
  • वह संबंधित संभाग के जिलाधीश (IAS अधिकारी) को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • संभागीय सचिवालय, राज्य सरकार और जिलों के बीच एक महत्वपूर्ण समन्वयक की भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष

राजस्थान में प्रशासनिक सुधार और जिलों का पुनर्गठन समय-समय पर होता रहा है। वर्तमान में, राजस्थान 41 जिलों और 7 संभागों के साथ एक संगठित प्रशासनिक इकाई के रूप में कार्य कर रहा है। संभागीय आयुक्त की व्यवस्था से जिलों में सुचारु प्रशासन संभव हुआ है, जिससे शासन और विकास कार्यों में तेजी आई है।

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