राजस्थान न केवल वीरों की धरती रहा है बल्कि यहाँ के साहित्यकारों और इतिहासकारों ने भी भारतीय संस्कृति और इतिहास को समृद्ध किया है। इन साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से राजस्थान की गौरवशाली परंपराओं, लोककथाओं, युद्धगाथाओं और संस्कृति को सुरक्षित रखने का महान कार्य किया। आइए जानते हैं राजस्थान के प्रमुख साहित्यकारों और इतिहासकारों के बारे में—
कर्नल जेम्स टॉड (Colonel James Tod)
जन्म : 1782 ई., इस्लिंगटन (इंग्लैंड) – मूल रूप से स्कॉटलैंड निवासी
राजस्थान आगमन : सर्वप्रथम उदयपुर आए और मेवाड़ के पोलिटिकल एजेंट बने।
योगदान :
“राजस्थान”, “रायथान” और “राजवाड़ा” नामकरण किया।
गुरु – जैन यति ज्ञानचन्द्र
“घोड़े वाले बाबा” नाम से भी प्रसिद्ध।
पुस्तक “Annals and Antiquities of Rajasthan” (राजस्थान के इतिहास का विश्वकोश) – हिंदी अनुवाद गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने किया।
दूसरी पुस्तक “Travels in Western India”, जिसे अपने गुरु को समर्पित किया।
महत्वपूर्ण अभिव्यक्तियां :
हल्दीघाटी युद्ध → “मेवाड़ की थर्मोपल्ली”
दिवेर का युद्ध → “मेवाड़ का मैराथन”
गुरु शिखर → “संतों का शिखर”
मृत्यु : 1835 ई.
👉 कर्नल जेम्स टॉड को राजस्थान का प्रथम आधुनिक इतिहासकार और “राजस्थान के इतिहास का पिता” कहा जाता है।
गौरीशंकर हीराचंद ओझा
जन्म : रोहिड़ा गांव, सिरोही
उपनाम : राजस्थान का ग्रीबन
शिक्षा : मुंबई
प्रमुख कृतियां :
भारतीय प्राचीन लिपिमाला
राजपूताने का इतिहास
सिरोही का इतिहास
उदयपुर का इतिहास
राजस्थान का इतिहास
कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक Annals and Antiquities of Rajasthan का हिंदी अनुवाद किया।
मुहणोत नैणसी री ख्यात का संपादन किया।
उपाधियां : राय बहादुर, महामहोपाध्याय
विजयदान देथा (बिज्जी)
जन्म : बोरुंदा, जोधपुर
प्रसिद्ध उपनाम : बिज्जी
प्रमुख कृतियां :
अनोखा पेड़
बापू के तीन हत्यारे
मेरा दर्द कोई न जाने
माँ रो बदलो
बात्ता री फुलवारी (14 खंड, 10वें खंड को साहित्य अकादमी पुरस्कार)
सम्मान :
2012 → प्रथम राजस्थान रत्न पुरस्कार
फिल्में बनीं : चरणदास चोर, दुविधा, परिणति, पहली आदि
सूर्यमल मिश्रण
जन्म : हरणा गांव, बूंदी
बूंदी के महाराव रामसिंह के दरबारी कवि।
प्रमुख कृतियां :
वंश भास्कर (बूंदी का इतिहास)
बलवंत विलास
छंद मयूख
वीर सतसई (1857 के स्वतंत्रता संग्राम का वर्णन)
👉 वंश भास्कर को आगे इनके दत्तक पुत्र मुरारी दान ने पूरा किया।
कन्हैयालाल सेठिया
जन्म : सुजानगढ़, चूरू
प्रमुख रचनाएं :
पाथल और पीपल
लिलटांस
धरती धोरा री
मिन्झर
लीक लकोड़ो
सबद निग्रन्थ → भारतीय ज्ञानपीठ मूर्ति देवी पुरस्कार
महाराणा प्रताप पर रचना → “हरे घास री रोटी जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो”
2012 में मरणोपरांत राजस्थान रत्न से सम्मानित
मुहणोत नैणसी
जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह प्रथम के दीवान
प्रमुख ग्रंथ :
मुहणोत नैणसी री ख्यात
मारवाड़ रा परगना री विगत
मुंशी देवी प्रसाद ने इन्हें “राजघराने का अबुल फजल” कहा।
राजपूताने का गजेटियर भी कहा जाता है।
गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने इनकी ख्यात का संपादन किया।
कवि श्यामलदास
जन्म : ढोलकिया गांव, मेवाड़
प्रमुख ग्रंथ : वीर विनोद (मेवाड़ का इतिहास)
उपाधियां :
कविराज – महाराणा सज्जन सिंह द्वारा
महामहोपाध्याय – ब्रिटिश सरकार द्वारा
केसर-ए-हिंद – कर्नल इम्पी के माध्यम से ब्रिटिश सरकार से
👉 श्यामलदास मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह के दरबारी कवि थे।
निष्कर्ष
राजस्थान के साहित्यकारों और इतिहासकारों ने न केवल राजस्थान की गौरवगाथा को सुरक्षित किया बल्कि भारतीय साहित्य को भी नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं। उनकी रचनाएं आज भी विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।