Mewad Rajwansh ka itihas

मेंवाड़ राजवंश का इतिहास (Mewar Dynasty History in Hindi)

🔶 परिचय: मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा

राजस्थान की धरती वीरता, त्याग और स्वाभिमान के लिए जानी जाती है।
मेवाड़ (Mewar) इसका सर्वोत्तम उदाहरण है — जहाँ का हर पत्थर शौर्य की कहानी कहता है।
यह वंश गुहिल वंश (Guhil Dynasty) से उत्पन्न हुआ और आगे चलकर सिसोदिया राजवंश (Sisodia Dynasty) के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
चित्तौड़गढ़ इसका प्रमुख केन्द्र रहा, जिसे कई बार आक्रमण झेलने के बावजूद मेवाड़ ने कभी अपना स्वाभिमान नहीं खोया।

⚔️ जैत्रसिंह (1213–1252 ई.)

  • जैत्रसिंह ने परमारों से चित्तौड़ को छीनकर अपनी राजधानी बनाई।

  • इसका और दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के बीच भूताला का युद्ध हुआ, जिसमें जैत्रसिंह विजयी रहा।

  • इस युद्ध का वर्णन जयसिंह सूरी की कृति “हम्मीर मद-मर्दन” में मिलता है।

  • चीरवा शिलालेख के अनुसार, योगराज का ज्येष्ठ पुत्र युद्ध में शहीद हुआ।

  • धांधसे शिलालेख में उल्लेख है कि “म्लेच्छों का स्वामी (इल्तुतमिश) भी जैत्रसिंह का मानमर्दन नहीं कर सका।”

  • समर सिंह के आबू शिलालेख में जैत्रसिंह की तुलना समुद्र को पान करने वाले अगस्त्य से की गई है।

  • 1248 ई. में उसने सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद की सेना को पराजित किया।

  • प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने जैत्रसिंह को दिल्ली के गुलाम वंश काल का सबसे प्रतापी शासक बताया।

  • दशरथ शर्मा ने उसके शासनकाल को मध्यकालीन इतिहास का स्वर्णकाल कहा।

👑 तेजसिंह (1252–1267 ई.)

  • जैत्रसिंह का उत्तराधिकारी तेजसिंह हुआ।

  • उसने “उभापतिवरलब्धप्रौढ़प्रताप” की उपाधि धारण की।

  • 1260 ई. में आहड़ में कमलचंद्र द्वारा राजस्थान का पहला चित्रित ताड़पत्र ग्रंथ — “श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि” तैयार किया गया।

  • तेजसिंह ने सुल्तान बलबन को भी परास्त किया।

  • उसकी रानी जैतलदेवी ने चित्तौड़गढ़ में श्याम पार्श्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।

🕉️ समरसिंह (1273–1302 ई.)

  • तेजसिंह के बाद उसका पुत्र समरसिंह गद्दी पर बैठा।

  • आबू शिलालेख में उसे तुर्कों से गुजरात का उद्धारक कहा गया है।

  • उसने अलाउद्दीन के भाई उलुगखाँ से मेवाड़ में हुई हानि का प्रतिशोध लिया।

  • अंचलगच्छ की पट्टावली के अनुसार, समरसिंह ने राज्य में जीव हिंसा पर रोक लगाई।

  • आबू शिलालेख में यह भी उल्लेख है कि उसने अचलेश्वर मठ का जीर्णोद्धार करवाया और साधुओं के लिए भोजन व्यवस्था करवाई।

🔥 रावल रतनसिंह और चित्तौड़ का पहला साका (1302–1303 ई.)

  • रावल रतनसिंह 1302 ई. में मेवाड़ का शासक बना।

  • 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया।

  • मलिक मोहम्मद जायसी की “पद्मावत” के अनुसार, आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी को प्राप्त करना था।

  • रानी पद्मिनी की कथा “तारीख-ए-फरिश्ता” में भी वर्णित है।

  • युद्ध में रावल रतनसिंह, गौरा-बादल वीरगति को प्राप्त हुए और
    रानी पद्मिनी ने 1600 क्षत्राणियों के साथ 26 अगस्त 1303 को जौहर किया।

  • यह घटना चित्तौड़ का पहला साका कहलाती है।

🛡️ राणा हम्मीर (1326–1364 ई.)

  • सिसोदा ठिकाने के राणा हम्मीर ने 1326 ई. में चित्तौड़ पर अधिकार कर गुहिल वंश की पुनर्स्थापना की।

  • वह “मेवाड़ का उद्धारक” या “मुक्तिदाता” कहलाया।

  • उसने सिंगोली युद्ध में मुहम्मद बिन तुगलक की सेना को पराजित किया।

  • कुंभलगढ़ प्रशस्ति में उसे “विषमघाटी पंचानन” कहा गया है।

  • उसने अन्नपूर्णा माता मंदिर का निर्माण करवाया।

⚔️ राणा लाखा (1382–1421 ई.)

  • राणा क्षेत्रसिंह के बाद उसका पुत्र राणा लाखा मेवाड़ का शासक बना।

  • उसके समय जावर क्षेत्र में चांदी व सीसे की खानें मिलीं, जिससे राज्य समृद्ध हुआ।

  • उसने बदनौर को जीता और अनेक दुर्गों का निर्माण करवाया।

  • चूण्डा, उसका पुत्र, “राजस्थान का भीष्म पितामह” कहलाता है।

  • इसी काल में छीतर बनजारे ने उदयपुर की पिछोला झील का निर्माण करवाया।

🏹 महाराणा मोकल (1421–1433 ई.)

  • राणा लाखा का पुत्र महाराणा मोकल 12 वर्ष की आयु में शासक बना।

  • उसने रामपुरा युद्ध (1428) में नागौर के फिरोजखाँ को परास्त किया।

  • मोकल ने द्वारिकानाथ मंदिर, समिद्धेश्वर मंदिर, और एकलिंगजी का परकोटा बनवाया।

  • 1433 ई. में उसकी हत्या उसके चाचाओं ने कर दी।

🏰 महाराणा कुंभा (1433–1468 ई.)

  • मोकल का पुत्र महाराणा कुंभा मेवाड़ का सबसे प्रसिद्ध शासक हुआ।

  • उसने मालवा सुल्तान महमूद खिलजी को सारंगपुर युद्ध (1437 ई.) में हराया।

  • विजय के उपलक्ष्य में चित्तौड़ में 9 मंजिला विजय स्तंभ बनवाया।

  • कुंभलगढ़ दुर्ग, अचलगढ़, विजय स्तंभ, रणकपुर जैन मंदिर आदि उसकी वास्तु-कला की धरोहर हैं।

  • कुंभलगढ़ की दीवार (36 किमी) को विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार माना जाता है।

🎨 कला और साहित्य में योगदान

  • कुंभा महान संगीतज्ञ, विद्यानुरागी और कला संरक्षक था।

  • उसके ग्रंथ: संगीतराज, संगीत मीमांसा, सूड़ प्रबंध, कामराज रतिसार आदि।

  • उपाधियाँ: अभिनव भरताचार्य, हिन्दू सुरताण, दानगुरु, अश्वपति, नरपति आदि।

  • उसके दरबार के प्रमुख विद्वान: मण्डन, कान्ह व्यास, अत्रि, महेश, गोविन्द, नाथा, सोमसुन्दर आदि।

  • मण्डन द्वारा रचित ग्रंथ: वास्तुशास्त्र, प्रासाद मण्डन, रूपमण्डन, देवमूर्ति प्रकरण

  • 1468 ई. में उसके पुत्र उदा ने उसकी हत्या कर दी।

⚜️ राणा उदा (1468–1473 ई.)

  • पिता की हत्या के कारण “पितृहन्ता उदा” कहलाया।

  • दाड़िमपुर युद्ध में वह अपने भाई रायमल से हार गया।

  • बाद में वह मालवा भाग गया जहाँ बिजली गिरने से उसकी मृत्यु हुई।

🌸 महाराणा रायमल (1473–1509 ई.)

  • रायमल ने मेवाड़ की स्थिरता बहाल की।

  • उसने चित्तौड़ में अद्भुतजी मंदिर का निर्माण करवाया।

  • उसकी पत्नी श्रृंगारदेवी ने घौसूंड़ी की बावड़ी बनवाई।

  • रायमल के बाद मेवाड़ का गौरव महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) के रूप में चरम पर पहुँचा।

📘 निष्कर्ष: मेवाड़ की अटूट परंपरा

मेवाड़ के राजवंश ने न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता बल्कि संस्कृति, धर्म और आत्मसम्मान की रक्षा की।
जैत्रसिंह से लेकर राणा रायमल तक का काल वीरता, धर्मनिष्ठा, और संस्कृति संरक्षण का युग था।
मेवाड़ ने भारत के इतिहास में अमर स्थान प्राप्त किया है।

❓ FAQs (सामान्य प्रश्न)

प्र.1. मेवाड़ के उद्धारक किसे कहा जाता है?
👉 राणा हम्मीर को।

प्र.2. चित्तौड़ का पहला साका कब हुआ था?
👉 1303 ई. में रानी पद्मिनी के नेतृत्व में।

प्र.3. विजय स्तंभ का निर्माण किसने करवाया?
👉 महाराणा कुंभा ने।

प्र.4. कुंभलगढ़ दुर्ग की दीवार कितनी लंबी है?
👉 लगभग 36 किलोमीटर (विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार)।

प्र.5. ‘राजस्थान का भीष्म पितामह’ किसे कहा जाता है?
👉 राणा लाखा के पुत्र चूण्डा को।

Facebook
X
LinkedIn
Telegram
WhatsApp

Leave a Comment

Related Post

हमारे Whatsapp व टेलीग्राम ग्रुप से जुड़े

Recent Post

Share on

Facebook
X
LinkedIn
WhatsApp
Threads
Pinterest
Reddit
Tumblr
Telegram
suYog Academy App