1. व्यास परियोजना
व्यास परियोजना सतलज, रावी और व्यास नदियों के जल का उपयोग करने हेतु पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की एक संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना है। इसका उद्देश्य तीनों राज्यों को सिंचाई, पेयजल और विद्युत उत्पादन में सहयोग प्रदान करना है।
प्रमुख बांध:
पडोह बांध – हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी पर स्थित यह बांध परियोजना का प्रमुख घटक है।
पोंग बांध – हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पोंग क्षेत्र में स्थित है।
राजस्थान को रावी और व्यास नदियों के जल में अपने हिस्से का सर्वाधिक पानी इसी बांध से प्राप्त होता है।
इसका मुख्य उद्देश्य इंदिरा गांधी नहर परियोजना को शीतकाल में जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
2. चंबल नदी परियोजना
यह परियोजना राजस्थान और मध्यप्रदेश की 50-50 साझेदारी वाली बहुउद्देशीय योजना है।
चंबल, राजस्थान की सबसे बड़ी और बारहमासी नदियों में से एक है। इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 1953-54 में हुई थी।
परियोजना के चरण:
प्रथम चरण – गांधी सागर बांध
स्थान: मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के रामपुरा-भानपुरा पठार के बीच
ऊँचाई: 64 मीटर
विद्युत उत्पादन: 115 मेगावाट
द्वितीय चरण – राणा प्रताप सागर बांध
स्थान: चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा क्षेत्र में
विद्युत उत्पादन: 172 मेगावाट
तृतीय चरण – जवाहर सागर बांध
स्थान: कोटा के समीप, बूंदी व कोटा की सीमा पर
विद्युत उत्पादन: 99 मेगावाट
अन्य विशेषताएँ:
कोटा बैराज, 20 नवम्बर 1960 को पंडित नेहरू द्वारा उद्घाटित।
इस परियोजना से राजस्थान के कोटा, बूंदी, बारां जिलों को सिंचाई और विद्युत लाभ मिला।
कुल 193 मेगावाट विद्युत में से 50% (96.5 मेगावाट) राजस्थान को प्राप्त होता है।
3. माही बजाज सागर परियोजना
यह परियोजना माही नदी पर आधारित एक राजस्थान-गुजरात संयुक्त बहुउद्देशीय योजना है।
प्रमुख घटक:
माही बजाज सागर बांध – बांसवाड़ा के निकट बोरखेड़ा गाँव में स्थित
कडाना बांध – गुजरात में स्थित, इसकी पूरी लागत गुजरात ने वहन की और मुख्य लाभार्थी भी वही है।
समझौता: नर्मदा परियोजना पूर्ण होने पर राजस्थान को भी जल लाभ मिलना सुनिश्चित किया गया।
चरण:
प्रथम चरण (1983) – बांध निर्माण पूर्ण, लागत अनुपात 45:55 (राजस्थान:गुजरात)
द्वितीय चरण – मुख्य बांध के नीचे 0.5 किमी लंबा कागदी पिकअप बांध
तृतीय चरण – 50 मेगावाट और 190 मेगावाट के दो विद्युत गृह स्थापित किए गए।
परियोजना से बांसवाड़ा को सर्वाधिक लाभ होता है।
4. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (पूर्व नाम: राजस्थान नहर परियोजना)
परियोजना का विकास:
1948 में बीकानेर रियासत के मुख्य सिंचाई अभियंता श्री कंवर सेन द्वारा प्रस्तावित
31 मार्च 1958 को गोविंद बल्लभ पंत द्वारा आधारशिला रखी गई
निर्माण और संचालन हेतु IGNP बोर्ड की स्थापना, अध्यक्ष – कंवर सेन
2 नवम्बर 1984 को इसका नाम बदलकर इंदिरा गांधी नहर परियोजना रखा गया।
प्रमुख विशेषताएँ:
उद्गम स्थल: सतलज और व्यास नदियों के संगम पर हरिके बैराज, पंजाब
फीडर नहर की लंबाई: 204 किमी (170 किमी पंजाब/हरियाणा, 34 किमी राजस्थान)
मुख्य नहर की लंबाई: 445 किमी
राजस्थान में प्रवेश बिंदु: हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के खरखेड़ा गाँव से
लिफ्ट नहरें:
नहर प्रणाली को ऊँचे क्षेत्रों तक पहुँचाने हेतु 7 लिफ्ट नहरें बनाई गईं:
कंवर सेन लिफ्ट नहर – प्रथम एवं सबसे लंबी (151.64 किमी)
चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर – हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, झुंझुनूं
पन्नालाल बारूपाल (गजनेर) लिफ्ट नहर – बीकानेर, नागौर
डॉ. करण सिंह (कोलायत) लिफ्ट नहर – बीकानेर, जोधपुर
योगदान:
जिलों को लाभ: गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं, नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर
उद्योगों में योगदान: सूरतगढ़, रामगढ़, गुड्डा, बरसिंगसर में बिजली घरों हेतु जल आपूर्ति
प्रौद्योगिकी: जल प्रवाह और नियंत्रण हेतु SCADA सिस्टम लागू किया गया।
5. गंग नहर परियोजना
राजस्थान की प्रथम नहर सिंचाई योजना, जिसे महाराजा गंगा सिंह ने बीकानेर रियासत में शुरू कराया।
प्रमुख घटनाएँ:
4 सितम्बर 1920 – सतलज नदी पर पंजाब-बीकानेर समझौता
5 सितम्बर 1921 – फिरोजपुर हेडवर्क्स पर आधारशिला
1927 – निर्माण पूर्ण
26 अक्टूबर 1927 – उद्घाटन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा, शिवपुर हेडवर्क्स पर
विशेषताएँ:
उद्गम: हुसैनीवाला (फिरोजपुर)
कुल लंबाई: 129 किमी (112 किमी पंजाब, 17 किमी राजस्थान)
सिंचाई क्षमता: 3.08 लाख हेक्टेयर
प्रमुख शाखाएँ: लालगढ़, लक्ष्मीनारायण, करणी, समीजा
लाभान्वित क्षेत्र: श्रीगंगानगर जिला
6. मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ
परियोजना | स्थान | नदी |
---|---|---|
छापी बांध | अकलेरा (झालावाड़) | छापी (पार्वती की सहायक) |
चोली बांध | पिड़ावा (झालावाड़) | चोली (कालीसिंध की सहायक) |
पांचना बांध | गुडला (करौली) | पांचना (गंभीर की सहायक) |
मोरेल बांध | लालसोट (दौसा) | मोरेल (बनास की सहायक) |
परवन लिफ्ट परियोजना | बारां | परवन नदी |
सोम कागदर बांध | खेरवाड़ा (उदयपुर) | सोम नदी |
सावन भादो परियोजना | सांगोद (कोटा) | अरू नदी |
अजान बांध | भरतपुर | गंभीर नदी |
❓ FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1. व्यास परियोजना किन राज्यों की संयुक्त परियोजना है?
उत्तर: व्यास परियोजना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य सतलज, रावी और व्यास नदियों के जल का उपयोग करना है।
Q2. चंबल परियोजना के मुख्य तीन बाँध कौन-कौन से हैं?
उत्तर: चंबल परियोजना में तीन प्रमुख बाँध हैं – गांधी सागर (म.प्र.), राणा प्रताप सागर (राज.), और जवाहर सागर (राज.)।
Q3. माही बजाज सागर परियोजना से सर्वाधिक लाभ किस जिले को होता है?
उत्तर: इस परियोजना से बांसवाड़ा जिले को सर्वाधिक सिंचाई एवं विद्युत लाभ प्राप्त होता है।
Q4. इंदिरा गांधी नहर परियोजना का उद्गम स्थल कहां है?
उत्तर: इसका उद्गम हरिके बैराज है, जो पंजाब में सतलज और व्यास नदियों के संगम पर स्थित है।
Q5. राजस्थान में सबसे पहली सिंचाई नहर कौन सी थी?
उत्तर: राजस्थान की पहली सिंचाई नहर “गंग नहर” थी, जिसका निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था।
Q6. इंदिरा गांधी नहर परियोजना किन जिलों को लाभ पहुंचाती है?
उत्तर: यह परियोजना गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, नागौर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों को सिंचाई एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध कराती है।
🌐 Official Reference Links (External)
इन परियोजनाओं की प्रमाणिक जानकारी के लिए निम्न सरकारी पोर्टल्स उपयोगी हैं:
राजस्थान जल संसाधन विभाग
https://waterresources.rajasthan.gov.in/नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी
http://nca.gov.in/Central Water Commission (CWC)
http://www.cwc.gov.in/Indira Gandhi Canal Project (IGNP) – Ministry Page
https://wrmin.nic.in/ (Water Resources Ministry)
निष्कर्ष:
राजस्थान जैसे अर्धशुष्क राज्य में इन सिंचाई परियोजनाओं का कृषि, उद्योग और जनजीवन पर गहरा प्रभाव है।
विशेष रूप से इंदिरा गांधी नहर, चंबल परियोजना और गंग नहर राज्य के विकास में रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य कर रही हैं।